झुलसा रोग से आलू का करें बचाव
आगामी 13 व 14 दिसंबर को बारिश की संभावना को देखते हुए पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज
आगामी 13 व 14 दिसंबर को बारिश की संभावना को देखते हुए पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को दी गई अपनी सलाह में कहा है कि जिन्होंने अपनी खेत में आलू की कुफरी बहार नामक किस्म लगा रखी है वे तत्काल मेंकोजेब नामक दवाई से खेत में छिड़काव सुनिश्चित करें। छिड़काव इस प्रकार करें कि घोल पूरे पौधे पर पड़े।
वैज्ञानिकों के मुताबिक दो ग्राम मेंकोजेब को एक लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें। एक हैक्टेयर खेत के लिए कम से कम 300 लीटर घोल की जरूरत होगी। घोल बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि घोल में ऐसी दवा का अवश्य प्रयोग करें, जिसमें पत्तों से चिपकने की क्षमता होती है। इस तरह की दवाइयां बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। इस दवा के घोल में मिलने से यह फायदा होगा कि बारिश के समय दवा पानी में घुलकर जमीन में नहीं मिल सकेंगे। इस तरकीब का प्रयोग कर आलू की फसल को अगेती झुलसा रोग से बचाया जा सकता है। गोभी वर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाली कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें। यदि कीटों का प्रकोप अधिक हो तो बीटी दवा की एक ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इस मौसम में सब्जियों की निराई गुड़ाई करके खरपतवार को नष्ट करें तथा उर्वरकों का भुरकाव करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।