पौध तैयार होने पर प्याज की करें रोपाई
प्याज की खेती में यह समय रोपाई के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क
प्याज की खेती में यह समय रोपाई के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को दी गई अपनी सलाह में कहा है कि यदि पौध तैयार हो तो प्याज की रोपाई में अब देरी नहीं करनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्याज की फसल में कुछ बातों का ध्यान रखकर लागत को जहां कम किया जा सकता है वहीं इससे उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।
पूसा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेपीएस डबास का कहना है कि प्याज की फसल में देशी खाद का प्रयोग काफी फायदेमंद रहता है, लेकिन यह बात रोपाई से पूर्व की है। जिन किसानों ने खेत की तैयारी में देशी खाद का प्रयोग नहीं किया है उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है। वे पोटाश, फास्फोरस व नाइट्रोजन की एकसमान मात्रा का खाद के तौर पर इस्तेमाल कर खेत को तैयार करें। प्रति एकड़ खेत के लिए इन खाद की 40- 40 किलोग्राम की मात्रा पर्याप्त होगी। खाद डालने के बाद खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें। इसके बाद रोपाई के समय इस बात का ध्यान रखें कि यह पंक्तिबद्ध हो। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेंटीमीटर तथा पौध से पौध की दूरी दस सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा क्यारी का आकार छोटा रखें। ऐसा करने से सिंचाई में सहूलियत होगी। तथा पानी की बर्बादी कम होगी। रोपाई से पूर्व पौध को जीवाणु खाद से उपचारित करना चाहिए। यह उपचार फास्फोरस घुलनशील जीवाणु से करें। बाजार में इसका टीका आसानी से उपलब्ध है। इसके अलावा एजेटोबेक्टर दवा को पानी में घोल लें तथा इस घोल में पौध की जड़ को 10 से 15 मिनट तक छोड़ दें। इसके बाद रोपाई का कार्य शुरू करें। इस बात का ध्यान रखें कि रोपाई ज्यादा गहरी नहीं हो। ज्यादा गहरी रोपाई होने पर प्याज की कंद का आकार छोटा होगा, जिससे पैदावार प्रभावित होगी। रोपाई के तुरंत बाद खेत में पानी लगाएं। इसके करीब सात दिन बाद दोबारा पानी लगाएं। प्याज के अलावा इस मौसम में सब्जियों की अगेती फसल लगाकर किसान अच्छी आमदनी पा सकते हैं। इस समय किसान कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती खेती से जुड़ी तैयारी शुरू कर सकते हैं। यह समय बीज लगाने के लिहाज से पूरी तरह उपयुक्त है। कद्दूवर्गीय सब्जियों में लौकी, खीरा, तोरई, करेला व अन्य सब्जियां आती हैं। आमतौर पर इन सब्जियों की रोपाई फरवरी में शुरू होती है, लेकिन अगेती फसल के लाभ के लिए अभी से तैयारी शुरू करनी होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक की 15-10 सेंटीमीटर की थैली लें। इसमें एक हिस्सा मिट्टी और एक हिस्सा सड़ी हुई गोबर की खाद को मिलाकर डालें। प्रत्येक थैली में एक एक बीज की बुवाई करें। लगभग 30 से 35 दिनों में इन बीजों से पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाएगा। इस प्रकार किसान सामान्य के मुकाबले कद्दूवर्गीय इन सब्जियों को बाजार में एक माह पूर्व ही उपलब्ध कराके अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। मौसम को देखते हुए अभी इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि गेहूं की खड़ी फसल में पानी की कमी नहीं हो। गेहूं की फसल यदि 20 से 22 दिन की हो गई हो तो उसमें सिंचाई जरूर करें। इसके अलावा यूरिया के माध्यम से नाइट्रोजन की पहली मात्रा जरूर डालें। इस बात का ध्यान रखें कि यह मात्रा शाम के समय दें, ताकि नमी का फायदा फसल को मिले। गेहूं की खेती करने वाले किसान अब देरी से लगने वाली किस्मों का चयन करें। ऐसी किस्मों में एचडी- 3059, एचडी- 2985, पीडब्ल्यू- 373, राज- 3765 व अन्य शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने अपनी सलाह में कहा है कि विलंब से बोई जाने वाली किस्मों में बुवाई के लिए बीज की मात्रा बढ़ानी होगी। सामान्य मौसम में एक एकड़ में गेहूं के 40 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है वहीं विलंब वाली किस्मों में इस मात्रा को बढ़ाकर अब 50 किलोग्राम प्रति एकड़ कर देना चाहिए।
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