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    डीयू की साख पर लग रहा है बट्टा

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    Updated: Tue, 02 Dec 2014 10:22 PM (IST)

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में परीक्षा के दौरान लगातार लापरवाही की घटनाएं विश्वव ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में परीक्षा के दौरान लगातार लापरवाही की घटनाएं विश्वविद्यालय की साख पर बट्टा लगा रही हैं। पुराने प्रश्नपत्र को दोबारा देना या गलत प्रश्नपत्र देने का यह मामला नया नहीं है। इसी वर्ष मई में राजनीति विज्ञान के छात्रों को गणित का प्रश्नपत्र दे दिया गया था। कई मामले तो ऐसे हैं, जो बाहर नहीं आए और छात्रों ने भी डर की वजह से इसकी शिकायत नहीं की।

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    शिक्षक संगठन इसके लिए सेमेस्टर प्रणाली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वह शुरू से ही इस व्यवस्था का विरोध कर रहे थे। हाल की घटनाओं ने संबंधित विषय के विभागों पर भी सवाल खड़े किए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक इसे सामान्य चूक बता रहे हैं, लेकिन इसकी ठोस वजह पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

    दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. सुब्रतो मुखर्जी का कहना है कि अब विश्वविद्यालय में कामचलाऊ व्यवस्था हो गई है। पहले आधा प्रश्नपत्र दूसरे विश्वविद्यालयों से बन कर आता था बाकी का प्रश्नपत्र दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक बनाते थे। ऐसे में शिक्षकों को पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाना पड़ता था। अब शिक्षक पढ़ाने के साथ पूरा प्रश्नपत्र भी बना रहे हैं। वे इस जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। शिक्षकों में जिम्मेदारी का अभाव है, जिसका सीधा असर विश्वविद्यालय की साख पर पड़ रहा है। उत्तर पुस्तिका जांचने में भी शिक्षक लापरवाही बरतते हैं। एक शिक्षक कई सौ कापियां जांचता है, इसका असर छात्रों के अंकों पर पड़ता है।

    विश्वविद्यालय के एक और पूर्व प्राध्यापक का कहना है कि शिक्षक अपने कर्तव्यों से विमुख हो रहे हैं। कई शिक्षकों को यह भी पता नहीं है कि कोर्स में क्या है और क्या नहीं। यह न केवल डीयू बल्कि शिक्षक की साख पर भी सवाल खड़े करता है।