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    दुर्गा पूजा दर्शाती है बंगाली सभ्यता का महत्व

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    Updated: Fri, 26 Sep 2014 05:25 PM (IST)

    मंदिर

    काली माता मंदिर, गोविंद खंड, विश्वकर्मा नगर, दिल्ली।

    समिति कार्यकारिणी

    - मंदिर में हर साल दुर्गा मां की भव्य मूर्ति के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इससे हर जगह बंगाली सभ्यता का संदेश भी पहुंचता है।

    - नारायण प्रामाणिक, अध्यक्ष।

    दुर्गा पूजा बंगालियों का सबसे प्रमुख त्योहार है। इसलिए हम इसे बड़े पैमाने पर मनाते हैं। यहां बड़ी संख्या में माता के भक्त जुटते हैं।

    - अनिमेश मुखर्जी, महासचिव।

    हर साल समिति की ओर से भव्य दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। इस बार भी मां दुर्गा का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

    - सुशांत मालाकार, खजांची।

    यह त्योहार साल में एक बार आता है। इसलिए हम पूरी रात मां की आराधना करते हैं और सभी भक्तों को प्रसाद वितरण भी कराया जाता है।

    - एके राय, सह सचिव।

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    विशेषता

    इस मंदिर में शाहदरा बंग समिति की ओर से बंगाली सभ्यता एवं मूर्तिकला को बढ़ावा देने के लिए कलाकारों को बुलाया गया है। ये कलाकार यहां मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियों का निर्माण करते हैं। यहां बनाई गई मूर्तियों के माध्यम से पूरी दिल्ली में बंगाली कला एवं सभ्यता को प्रसारित किया जा रहा है।

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    इतिहास

    शाहदरा बंग समिति की ओर से 45 वर्ष पूर्व 1969 में इस मंदिर में दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई। बंगाल की सभ्यता को प्रसारित करने के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया गया। इसके लिए हर साल समिति का चुनाव भी होता है। पुराने समय से यहां दुर्गा पूजा को सफल बनाने के लिए समिति प्रयासरत है। तब से अब तक यहां लोग परंपरागत दुर्गा पूजा मनाते चले आ रहे हैं। मंदिर के आसपास के सभी इलाकों में रहने वाले लोगों की इसमें काफी मान्यता है।

    कार्यक्रम

    -षष्ठी को मंदिर में दुर्गा मां का आगमन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

    - सप्तमी के दिन मंदिर में माता की भव्य प्रतिमा की स्थापना की जाएगी।

    - अष्टमी को यहां अलग-अलग समय पर कुमारी पूजा एवं संधि पूजा का अयोजन होगा।

    - नवमी को मा की आराधना सहित यज्ञ आयोजित किया जाएगा।

    - दशमी के दिन यमुना में दुर्गा माता की मूर्ति का विसर्जन कराया जाएगा।

    आकर्षण

    दुर्गा पूजा में सबसे पहले भव्य मूर्तियां यहां का मुख्य आकर्षण रहती हैं। यहां षष्ठी से लेकर दशमी तक रोजाना शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके लिए विशेष तौर पर कलाकारों को बुलाया जाता है, वहीं बच्चों के लिए मैजिक शो आदि का आयोजन भी विशेष तौर पर कराया जाता है।

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