गाजर बोने की करें तैयारी
गाजर की खेती करने के इच्छुक किसान अब गाजर बोने की तैयारी शुरू कर दें। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को दी गई अपनी सलाह में कहा है कि 25 अगस्त से गाजर की बुवाई शुरू कर दें। उपयुक्त किस्मों में पूसा रूधिरा, पूसा केसर की रोपाई की सलाह वैज्ञानिकों ने दी है। ये किस्में लाल गाजर की हैं। पीली गाजर की उपयुक्त किस्मों में पूसा यमदग्नि, पूसा मेंटिस शामिल हैं। गाजर की इन किस्मों की बुवाई 10 अक्टूबर तक की जा सकती है। ये किस्में 90 दिनों में तैयार हो जाती हैं।
गाजर के अलावा किसान अपने खेतों में मूली, पालक की खेती कर सकते हैं। पालक की उपयुक्त किस्मों में पूसा भारती, पूसा आलग्रीन, पूसा ज्योति शामिल हैं। वहीं मूली की उपयुक्त किस्मों में पूसा देशी, पूसा केतकी शामिल हैं। इसके अलावा जिन किसानों के खेत अभी खाली हैं वे यदि चाहें उनमें सरसों की खेती कर सकते हैं। खास बात यह है कि अभी किसान सरसों की जिन किस्मों को लगाएंगे वह दिसंबर तक पककर तैयार हो जाएंगी। इसके बाद किसान गेहूं की खेती कर सकेंगे। यानी उनका खेत किसी भी स्थिति खाली नहीं रहेगा।
पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को दी गई अपनी सलाह में कहा है कि जो किसान अपने खेत में सरसों की फसल लगाना चाहते हैं वे हर हाल में 25 अगस्त तक बुवाई कर लें। सरसों की उपयुक्त किस्मों में पूसा तारक, पूसा अगर्णी सहित अनेक किस्में शामिल हैं। सरसों की इन किस्मों से किसान प्रति हैक्टेयर 18 से 20 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। जिन किसानों ने अपने खेत में धान की फसल लगा रखी है वे अपने खेतों में पानी खड़ा नहीं रहने दें। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी खेत में केवल इतने पानी की जरूरत है, जिससे मिट्टी में नमी बरकरार रहे। केवल बालियों के बनने व फुटाव के समय अत्यधिक मात्रा में सिंचाई की जरूरत होती है। इस बीच किसान केवल इतना ध्यान रखें कि किसी भी सूरत में जमीन पर दरार नहीं बने।
सब्जियों में (टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ की निगरानी करें। यदि अधिक समस्या नजर आए तो स्पेनोसेड दवाई की एक मिलीलीटर मात्रा को चार लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव करें, जो किसान टमाटर की खेती करना चाहते हैं और पौधशाला में टमाटर की पौध तैयार है तो रोपाई से पूर्व पौध की जड़ों को इमिडाक्लोप्रिड दवाई में डुबोने के बाद ही उसकी रोपाई करें। ऐसा करके सफेद मक्खी के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
यदि धान की फसल में पत्ता मरोड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप नजर आए तो करटाप दवाई का प्रयोग करें। जिन किसानों की टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को ध्यान में रखते हुए रोपाई शुरू करें। खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई से पहले अपने खेतों में पेंडामिथायलीन का छिड़काव करें।
भिंडी, ग्वार, सेम, पालक, चोलाई की बुवाई करने से पहले उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें।
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