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    शिक्षा का बाजारीकरण बंद हो : प्रो. नंदिता

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    Updated: Sun, 08 Sep 2013 08:01 PM (IST)

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की अध्यक्ष प्रोफेसर नंदिता नारायण ने कहा कि स्कूली शिक्षा के बाद सरकार ने अब उच्च शिक्षा का भी निजीकरण करना शुरू कर दिया है। शिक्षा को कारोबार बनाया जा रहा है। देश की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। शिक्षा के बाजारीकरण के प्रयासों पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।

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    प्रोफेसर नंदिता ज्वाइंट एक्शन फ्रंट फॉर डेमोक्रेटिक एजुकेशन नामक संस्था ओर से रविवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में शिक्षा नीति पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा को दिनोंदिन बाजार की ओर धकेल रहीं सरकारी नीतियां भूमंडलीकरण के नाम पर बनाई जा रही हैं। जबकि भूमंडलीकरण ने ही उच्च शिक्षा पर सबसे अधिक प्रहार किया है। प्रो. नंदिता ने कहा कि आज सरकार बस पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) नीति के तहत स्कूल खोलने और विदेशी शिक्षण संस्थानों को देश में आमंत्रित करने पर जोर दे रही है। सरकार के ये दोनों ही प्रयास शिक्षा के निजीकरण का प्रमुख हिस्सा हैं। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण नियमों का समुचित पालन न किए जाने की भी आलोचना की। कार्यक्रम में फ्रंट के संयोजक डॉ. उदित राज ने कहा कि यूरोप एवं अमेरिका की तर्ज पर शिक्षा नीतियां बनाई तो की जा रही हैं, जबकि देश के हालात इससे भिन्न हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के चार वर्षीय पाठ्यक्रम के बारे में कहा कि ऐसे पाठ्यक्रम छात्रों पर लादे जा रहे हैं। इस शिक्षा नीति से दलित, आदिवासी, पिछड़े, ग्रामीण एवं भारतीय भाषाओं के विद्यार्थी सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। सरकार में बैठे कुछ लोगों ने चार वर्षीय पाठ्यक्रम जैसी नीतियों का समर्थन कर भारी भूल की है। सम्मेलन में डॉ. हेनी बाबू, विजय वेंकटरमण, हंसराज सुमन, डा. प्रेम सिंह सहित कई लोग उपस्थित थे।

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