एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : आईपीएल में सब कुछ खराब कहना गलत है
(राजकिशोर) नई दिल्ली । आईपीएल में फिक्सिंग के कलंक के बावजूद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) द्वारा नरम रुख अपनाने के आरोपों को आईपीएल कमिश्नर व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि दो-तीन लोगों के फिक्सिंग में संलिप्त होने से सब कुछ खराब कहना गलत है। बीसीसीआइ फिक्सिंग रोकने के लिए और
(राजकिशोर) नई दिल्ली । आईपीएल में फिक्सिंग के कलंक के बावजूद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) द्वारा नरम रुख अपनाने के आरोपों को आईपीएल कमिश्नर व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि दो-तीन लोगों के फिक्सिंग में संलिप्त होने से सब कुछ खराब कहना गलत है। बीसीसीआइ फिक्सिंग रोकने के लिए और सख्ती बरतेगा। ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वाले खिलाड़ियों पर कड़े प्रतिबंध के साथ अनुबंध में यह प्रावधान करने का प्रयास करेंगे कि इसके लिए आपराधिक मुकदमा चले। चौतरफा उठ रहे सवालों के बीच राजीव शुक्ला ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:-
प्रश्न : आईपीएल कमिश्नर होने के नाते इस शर्मनाक प्रकरण पर आपकी पहली प्रतिक्रिया.?
जवाब : हम लोगों के स्तर पर कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। कुछ लोग अगर घर में छिपकर रह रहे हैं तो भी पता चलते ही कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।
प्रश्न : मगर आप फिक्सिंग रोकने में नाकाम रहे हैं?
जवाब : हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, हम कोई कानून का पालन कराने वाली एजेंसी नहीं हैं। हम जांच एजेंसियों के साथ मिलकर अपनी तरफ से पूरी निगरानी रखेंगे। जासूसी भी कराई जा रही है और खिलाड़ियों को खूब धन भी मिल रहा है। फिर भी खिलाड़ी ऐसा कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रश्न : क्रिकेट को कलंकित होने से बचाने के लिए क्या ये तर्क ही काफी हैं.?
जवाब : नहीं, हम संट्टेबाजी या फिक्सिंग करने वाले खिलाड़ियों पर ज्यादा कड़े प्रतिबंध लगाएंगे। साथ ही यह भी कोशिश करेंगे कि खिलाड़ियों के साथ करार में ऐसे प्रावधान किए जाएं, जिनसे ऐसी गतिविधि करने पर उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल सके।
प्रश्न : आईपीएल पर शुरुआत से ही सवाल उठते रहे हैं। इसे बंद करने की मांग हो रही है। क्या कहेंगे आप.?
जवाब : अनर्गल मांग है। रोक अलग है और इलाज अलग बताया जा रहा है। कमियों को दूर करने के लिए क्रिकेट बोर्ड लगातार प्रयास करता है। आरोप तो तमाम संस्थाओं पर लगे हैं, लेकिन क्या उन्हें बंद करने की मांग होती है।
प्रश्न : कहा जा रहा है कि आइपीएल से संट्टे का धंधा फल-फूल रहा है और अंडरवर्ल्ड इससे मजबूत हो रहा है, ऐसे में क्या यह खेल खतरनाक नहीं हो गया.?
जवाब : पता नहीं कैसी गैरजिम्मेदाराना बातें की जा रही हैं। आईपीएल सिर्फ डेढ़ माह का होता है। क्या साल भर लोग संट्टा नहीं लगाते। अरे लोकसभा की सीटों पर जीत-हार से लेकर बारिश तक पर संट्टा लगता है। ऐसे में आइपीएल पर यह ठीकरा फोड़ना बिल्कुल गलत है।
प्रश्न : आपको नहीं लगता कि आईपीएल का जन्म ही खिलाड़ियों की नीलामी या खरीद-फरोख्त के आधार पर हुआ है। कोई राष्ट्रीय अस्मिता या प्रतिबद्धता भी खिलाड़ियों में नहीं होती। ऐसे में किसी खिलाड़ी का बिकना आसान नहीं है?
जवाब : ऐसा है तो बाकी खिलाड़ी तो नहीं बिक रहे। रही बात राष्ट्रीय टीमों की तो उनके खिलाड़ी भी संट्टेबाजी में पकड़े गए हैं। तो क्या उसे भी बंद करना चाहिए। जरूरत है खामियां रोकने की, न कि मिथ्या प्रचार कर खेल पर सवाल उठाने की।
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