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    पुणे की पिच को लेकर डेविड वॉर्नर ने खोला मुंह, कह दिया कुछ ऐसा

    By Pradeep SehgalEdited By:
    Updated: Thu, 02 Mar 2017 11:12 AM (IST)

    वार्नर ने कहा कि पिच पर बल्लेबाज के लिए अपने शॉट खेलना मुश्किल था। यही कारण था मैंने वहां एक रन लेकर स्ट्राइक बदलने पर ध्यान दिया। ...और पढ़ें

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    पुणे की पिच को लेकर डेविड वॉर्नर ने खोला मुंह, कह दिया कुछ ऐसा

    बेंगलुरु जेएनएन। जहां एक ओर हारने के बाद भी भारतीय ओपनर मुरली विजय पिच को खराब मानने को तैयार नहीं, वहीं जीतने के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई ओपनर डेविड वॉर्नर पुणे की पिच से खुश नहीं हैं। वॉर्नर ने कहा कि पिच पर बल्लेबाज के लिए अपने शॉट खेलना मुश्किल था। यही कारण था मैंने वहां एक रन लेकर स्ट्राइक बदलने पर ध्यान दिया।

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    कई बार मेरे दिमाग में आया कि मैं बड़े शॉट खेल सकता हूं, लेकिन साथी ओपनर रैनशॉ से जब बात की तो उन्होंने ऐसा करने से मना किया। उन्होंने कहा कि खराब गेंद पर ही बड़े शॉट खेलेंगे। उन्होंने कहा कि स्पिनरों के लिए मददगार पुणे की विकेट पर हमने अच्छा प्रदर्शन किया। वहां पर खेलने के लिए आपको कुछ अलग से सोचने की जरूरत थी।

    इसके साथ ही वॉर्नर ने कहा कि. जब आप पिच पर उतरते हैं तो आपके पास प्लान ‘ए’ होता है, लेकिन कभी-कभी आपको प्लान ‘बी’ और ‘सी’ की भी जरूरत होती है। वार्नर ने अपने जूनियर पार्टनर रैनशॉ की तारीफ की। पहली बार भारत दौरे पर आए 20 साल के रैनशॉ ने पहले टेस्ट में पेट में गड़बड़ और चक्कर आने के बावजूद 68 और 31 रन की पारियां खेलीं। उन्हें मैच के दौरान उपचार भी कराना पड़ा।

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    वार्नर ने कहा कि भारत में पहले मैच में संभवत: उससे इसकी उम्मीद नहीं की थी। हमने भी कभी उसे इन परिस्थितियों में खेलते हुए नहीं देखा था इसलिए हमें भी नहीं पता था कि वह कैसा खेलेगा और यह उसके खेल के बारे में अच्छी चीज थी। जब आपकी टीम में नए लोग होते हैं तो आपको नहीं पता होता कि वे क्या करने में सक्षम हैं और यह आपको अतिरिक्त हथियार देता है। रैनशॉ शानदार खेला। अगर वह मैदान पर टिका रहता या वापस नहीं आता (पहली पारी में) तो शायद चीजें अलग होतीं, लेकिन वह जिस तरह खेला और जिस तरह वापस जाने व बीमार होने के बाद उसने सामंजस्य बैठाया और फिर वापस खेलने गया। इसका उसे श्रेय जाता है।

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    वार्नर ने कहा कि भारत आने से पहले दुबई में हफ्ते भर की ट्रेनिंग टीम के लिए सकारात्मक साबित हुई। हमारा गर्मियों के सत्र के बाद दुबई में एक हफ्ता बिताना और तरोताजा होना मेरे और मेरी तैयारी के लिए सर्वश्रेष्ठ था। मुझसे पहले दुबई जाने वाले सभी खिलाड़ी बता रहे थे कि वहां तैयारी करना कितना अच्छा था।