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    2018 तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखेंगे ओपेक, भारत पर असर नहीं

    इससे पहले तेल उत्पादक देशों को मार्च 2018 तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखनी थी

    By Praveen DwivediEdited By: Updated: Sat, 02 Dec 2017 12:25 PM (IST)
    2018 तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखेंगे ओपेक, भारत पर असर नहीं

    नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रूस के नेतृत्व में ओपेक और गैर-ओपेक उत्पादक देशों ने गुरुवार को 2018 के अंत तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखने के लिए सहमति व्यक्त की है। रुस ने पहली बार ओपेक के नियमों से हिसाब से अपने तेल उत्पादन में कटौती की है। साथ ही उसने इस कटौती के साथ ही यह संकेत देने की कोशिश की है कि कैसे बाजार को नुकसान पहुंचाए बिना कटौती से बाहर निकला जा सकता है।

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    क्या हुआ फैसला: ओपेक देशों के बीच पहले यह सहमति बनी थी कि वो सभी मार्च 2018 तक तेल उत्पादन में कटौती जारी रखेंगे, लेकिन हालिया बैठक में यह तय हुआ है कि अब दिसंबर 2018 तक तेल उत्पादन में यह कटौती जारी रहेगी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि ओपेक के विएना स्थित हेडक्वॉर्टर में हुई यह बैठक कई घंटों तक चली और लंबी चर्चा के बाद ही सदस्यों के बीच इस पर सहमति बनी।

    ओपेक देशों में कौन कौन शामिल: आपको बता दें कि ओपेक में कुल 12 देश शामिल हैं, जिनके नाम अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, इरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला शामिल हैं।

    फैसले का क्या होगा असर:

    केडिया कमोडिटी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया के मुताबिक ओपेक देशों के इस फैसले का भारत पर नाम-मात्र को असर पड़ेगा क्योंकि डब्ल्यूटीआई की कीमतें पहले से ही स्थिर हैं और वो प्रति बैरल 57 से 60 डॉलर के दायरे में कारोबार कर रहा है और बाजार को इस फैसले को लेकर पहले से ही अंदेशा था इसलिए उसने डिस्काउंट दे रखा था, लिहाजा भारत पर असर पड़ने की संभावनाएं कम हैं। हालांकि अगर तेल की कीमतें 60 के ऊपर जाती हैं तो अमेरिका को बेशक फायदा हो सकता है।

    लीबिया पर नहीं बनी सहमति: हालांकि घंटों चली इस बैठक में इस पर सहमति नहीं बनी है कि लीबिया के ऑयल आउटपुट को कंट्रोल करने के लिए प्रोडक्शन कट की जरूरत है या नहीं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि लीबिया अभी आंतरिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।

    रुस को किसका डर?

    अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत प्रति बैरल 57 डॉलर से ज्यादा तक पहुंच चुकी है। उत्पादन में कटौती करने की डील में अमेरिका शामिल नहीं है। रूस को यह डर सता रहा है कि कहीं उत्पादन में कटौती करने के कारण तेल की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए अमेरिका अपने यहां उत्पादन बढ़ा न दे। इसलिए अमेरिका यहां पर थोड़ा मजबूत स्थिति में जान पड़ सकता है।

    क्यों लिया गया था उत्पादन में कटौती का फैसला?

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में सुधार लाने के लिए तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) ने दिसंबर 2016 में तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया था। जानकारी के मुताबिक 2008 के बाद यह पहला मौका था, जब ओपेक देश उत्पादन में कटौती के लिए राजी हुए। इस समझौते के तहत सऊदी अरब को अपने तेल उत्पादन में रोजाना पांच लाख से लेकर एक करोड़ बैरल तक, जबकि कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात को रोजाना तीन-तीन लाख बैरल की कटौती करने को कहा गया था।