तेल उत्पादन में कटौती पर सहमति, भारत को झटका
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कचे तेल (क्रूड) की अधिकता और कम कीमतों की समस्या से निपटने के लिए ओपेक और अन्य उत्पादक देशों के बीच सहमति बन गई है।
वियना, रायटर/एएफपी: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कचे तेल (क्रूड) की अधिकता और कम कीमतों की समस्या से निपटने के लिए ओपेक और अन्य उत्पादक देशों के बीच सहमति बन गई है। 2001 के बाद यह पहला मौका है जब तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक और रूस जैसे नॉन-ओपेक देश उत्पादन में कटौती के लिए तैयार हो गए हैं। ओपेक के बाहर के देशों (नॉन-ओपेक) ने उत्पादन में 5,62,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) की कटौती पर हामी भरी है।
ओपेक के 13 देशों में कटौती का सबसे यादा भार सऊदी अरब उठाने के लिए तैयार हुआ है। इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कचे तेल की कीमतों में निश्चित तौर पर तेजी आएगी। लिहाजा, भारत जैसे तेल आयातक देश इससे प्रभावित होंगे। इसकी वजह से आगे पेट्रोलियम उत्पादों में तेजी देखने को मिल सकती है।
ओपेक और नॉन-ओपेक देशों ने लंबी बहस के बाद आखिरकार यहां इस बाबत समझौते पर हस्ताक्षर किए। अब नजरें इस बात पर होंगी कि इस एग्रीमेंट पर किस हद तक अनुपालन होता है। ओपेक का उत्पादन कोटे में बेईमानी का लंबा इतिहास रहा है। जबकि रूस उत्पादन में कटौती को लेकर अनिछुक रहा है।
ओपेक के महासचिव मुहम्मद बारकिंदो ने कहा कि यह बैठक ऐतिहासिक रही है। यह कदम ग्लोबल अर्थव्यवस्था में जान फूंकेगा। इससे आर्थिक सहयोग व विकास संगठन यानी ओईसीडी के कुछ देशों को अपने महंगाई के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। ओपेक में 30 नवंबर को मासिक उत्पादन घटाने पर सहमति बनी थी। उसने जनवरी से उत्पादन को 12 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) घटाकर 3.25 करोड़ बीपीडी करने का फैसला किया था। डील के तहत ओपेक यह भी चाहता था कि अन्य तेल उत्पादक देश भी छह लाख बीपीडी तक कटौती करें। नॉन-ओपेक देश उत्पादन में 5,62,000 बीपीडी की कटौती के लिए तैयार हुए हैं।
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