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अगर सोनपुर मेला घूम रहे हैं तो रेल ग्राम प्रदर्शनी जरूर देखें

संवाद सहयोगी, सोनपुर भारत की अखंडता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही भारतीय रेल हरिहर

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Nov 2017 06:00 PM (IST)Updated: Mon, 13 Nov 2017 06:00 PM (IST)
अगर सोनपुर मेला घूम रहे हैं तो रेल ग्राम प्रदर्शनी जरूर देखें
अगर सोनपुर मेला घूम रहे हैं तो रेल ग्राम प्रदर्शनी जरूर देखें

संवाद सहयोगी, सोनपुर

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भारत की अखंडता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही भारतीय रेल हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में अपनी यात्रा के आरंभिक काल का वृतांत सुना रही है। माध्यम है मेले की हृदयस्थली नखास में स्थित पूर्व मध्य रेल की रेल ग्राम प्रदर्शनी। इस प्रदर्शनी में एक तरफ जहां सिग्नल सुरक्षा, संरक्षा मेडिकल, वाणिज्य तथा यांत्रिक, इंजीनिय¨रग विभाग की प्रदर्शनी लगी है, वहीं नुक्कड़ नाटक के जरिए मेलार्थियों को जागरूक किया जा रहा है कि मानव रहित फाटकों को पार करने में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

भारत स्वच्छता मिशन को कामयाब बनाने के लिए न केवल अपने घर और उसके आसपास बल्कि रेल परिसर में भी स्वच्छता का ध्यान रखा जाना चाहिए। बिना टिकट यात्रा अपराध है। इन सभी बातों को कहीं चित्र तो कहीं नाटक के जरिए इस परिसर में समझाया जा रहा है। ठीक इसके दक्षिण एक बड़े से हाल में रेल के आरंभिक इतिहास को दुर्लभ चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। 18वीं शताब्दी में विज्ञान इतना विकसित नहीं था तब भी रेल ने कैसे अपनी दुर्गम यात्रा के दौरान देश की सेवा की, इसे इन चित्रों में दिखाया गया है।

कहीं कोयला लदी बोगी को घोड़ों के माध्यम से, तो कहीं बैलों और कहीं हाथी के जरिए पटरियों पर माल लदी बोगी को खींचा जा रहा है। तब न इंजन का याद हुआ था न ही आज की तरह विकसित बोगियों का निर्माण। फिर भी सीमित संसाधनों से ही रेलवे ने अपनी सेवाएं प्रदान की। इसी प्रदर्शनी हॉल में आजादी के पूर्व 1927 में सोनपुर स्टेशन की रूपरेखा क्या थी, उसका दुर्लभ चित्र यहां लगाया गया है। स्टेशन पर खड़े छोटे-छोटे से इंजन और उस जमाने की बोगियों में कैसे लोग चढ़ रहे हैं, उसे दिखाया गया है। इसी के सामने लगी है स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी की रेलयात्रा के ²श्य का चित्र। पंडित जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद सहित अनेक बड़ी हस्तियों को भी रेल से यात्रा करते दर्शाया गया है। इसमें रेल की छोटे इंजनों से लेकर स्टीम इंजन की गाथाओं को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। इस प्रदर्शनी के समीप ही है दार्जि¨लग तथा ऊटी की टॉय ट्रेन की याद दिलाता टॉय ट्रेन से सफर का आनंद। टिकट खरीदा और परिवार के साथ इस ट्रेन का लुत्फ उठाइए। अगर रेल प्रदर्शनी परिसर घूमते हुए थक गए हों, तो इसके प्रवेश द्वार के समीप आइए और लिट्ट- चोखा का मजा लीजिए। रेल ग्राम अगर नहीं घूमे तो मेले की यात्रा अधूरी है। यह रेल प्रदर्शनी पिछले कई वर्षों से लगातार दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।


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