किसानों के लिए स्ट्राबेरी की खेती फायदेमंद
शिवहर, संवाद सहयोगी : जिले के किसानों के लिए स्ट्राबेरी की खेती फायदेमंद है। स्ट्राबेरी के खेती के लिए उत्तर बिहार में माकूल जलवायु एवं मिट्टी है। इसकी जानकारी यहां राजेन्द्र कृषि विश्व विद्यालय पूसा के कृषि वैज्ञानिक संजय कुमार निराला ने दी है। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा से स्ट्राबेरी की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे रतनपुर पिपराही के प्रगतिशील किसान एवं पर्यावरणविद् रामचन्द्र सिंह स्ट्राबेरी का पौधा पाकर काफी खुश हैं। वे जिले में इसकी खेती का विस्तार करने की इच्छा रखते है।
क्या है स्ट्राबेरी :
स्ट्राबेरी संपूर्ण पौष्टिक तत्व से भरपूर है। इसमें हेमोग्लोबीन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। जिसका प्रयोग आइसक्रीम, फ्रूट , जेम, जेली टॉफी एवं विटामिन वाली दवाओं में किया जाता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए यह रामबाण है।
-कब करे रोपाई :
स्ट्राबेरी की रोपाई सितम्बर से अक्टूबर के बीच की जाती है। कृषि वैज्ञानिक संजय कुमार निराला बताते हैं कि जनवरी से अप्रैल तक फल तैयार हो जाता है। इसकी खेती का लाभ 1/5 अनुपात में होता है। यानी एक लाओ पांच पाओ। प्रति हेक्टेयर 20 टन का उत्पादन होता है। उत्तरी बिहार के लिए स्ट्राबेरी का फेस्टिबल वेरायटी काफी सफल है।
उर्वरक एवं प्रबंधन अन्य फसलों की तरह स्ट्रॉबेरी में प्रति हेक्टेयर 120 केजी नेत्रजन, 80 किलोग्राम पोटाश, 80 किलोग्राम एनपीके की आवश्यकता होती है। वहीं कीटनाशक एवं मल्टीप्लेक्स विटामिन का छिड़काव कर पौधों को सुरक्षित और स्वस्थ फल प्राप्त किया जा सकता है। सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई का प्रयोग करे।
-खेती पर मिलता है अनुदान : स्ट्राबेरी की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 10 हजार का अनुदान किसानों को सरकार प्रोत्साहन के रूप में देती है। वहीं मल्सिंग के लिए 50 प्रतिशत एवं सूक्ष्म सिंचाई उपकरण पर 90 प्रतिशत अनुदान है।
पौधे को देखने पहुंच रहे लोग
स्ट्राबेरी की खेती को लेकर किसान रामचन्द्र सिंह काफी खुश हैं। वहीं जिले में पहली बार इस पौधे को देखने को लोग उनके घर पहुंच रहे है।