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    पहरुओं ने डकारी राशि, धरोहर के संरक्षण पर सवाल

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    Updated: Sat, 14 May 2016 05:36 PM (IST)

    रोहतास। पुरातत्व विभाग के अधीन कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित जिले के ऐतिहासिक धरोहर रोहतास

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    रोहतास। पुरातत्व विभाग के अधीन कैमूर पहाड़ी पर अवस्थित जिले के ऐतिहासिक धरोहर रोहतासगढ़ किला देखरेख व मरम्मत के अभाव में अपना वजूद खो रहा है। पहरुए ही इसके विकास व मरम्मत के लिए प्राप्त राशि को डकार जा रहे हैं। ऐसे में इसके संरक्षण एवं संब‌र्द्धन की कवायद पर सवाल खड़े होने लगे हैं। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 12-13 से 15-16 तक इस किले की मरम्मत एवं रखरखाव के लिए 3,43,834 रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि चार वर्षों से यहां कोई मरम्मत कार्य नहीं हुए हैं। आखिर यह राशि गई कहां, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

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    कभी बिहार बंगाल की सत्ता इसी रोहतास गढ़ किले से संचालित होती थी। राजस्थान के आमेर किले को टक्कर देने वाला 45 किलोमीटर की परिधि में फैले इस अद्भुत किला परिसर में आज वीरानगी छाई हुई है। किला परिसर के समीप बसे बभनतालाब, ब्रह्मदेवता, नागाटोली सहित अन्य गांव के लोग इस किले की उपेक्षा से मर्माहत हैं।

    बभनतलाब निवासी शिक्षक राजबली ¨सह यादव का कहना है कि चार वर्षों में किला का कोई मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। इस किला की देखरेख के लिए तीन कर्मी नियुक्त थे। जिसमें गणेश शंकर ¨सह व शिव शंकर ¨सह की मौत चार वर्ष पहले ही हो गई है। वहीं रामदेव राम दिसंबर 2014 में अवकाश प्राप्त कर चुके हैं। उसके बाद से अब तक यहां किसी कर्मी की तैनाती नहीं की जा सकी है। वहीं मुखिया मोती उरांव का कहना है कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन यह किला संरक्षित है, इस बात की भी जानकारी किला परिसर में लगे बोर्ड से ही होती है। बोर्ड का भी पेंट कराए कई दशक बीत गए, उसका भी वजूद मिटता जा रहा है।

    कहते हैं सांसद :

    स्थानीय संसद छेदी पासवान ने कहा कि रोहतासगढ़ किला को राष्ट्रीय महत्व के ऐतिहासिक धरोहर के रूप में अंगीकृत, संरक्षित व विकसित करने का प्रश्न संसद में उठाया था। जिस पर पुरातत्व विभाग ने कहा है कि इस किले को पुरातत्व विभाग द्वारा देखरेख व रखरखाव पर वित्तीय वर्ष 2012-13 में 83170 रुपये, 13-14 में 99736 रुपये, 2014-15 में 93800 रुपये व 2015-16 में ़फरवरी तक 67128 रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। गत चार वर्षो में 343824 रुपये खर्च किए गए हैं। साथ ही किले पर रोपवे निर्माण के लिए 12 करोड़ 67 लाख रुपये भी आवंटित किए जा चुके है। रखरखाव की राशि कहां खर्च हुई है इसकी जांच कराई जाएगी।