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    सहेलियों ने भाग कर रचाई समलैंगिक शादी, फिर क्या-क्या हुआ, जानिए....

    By Amit AlokEdited By: Amit Alok
    Updated: Sun, 19 Jun 2016 10:36 PM (IST)

    दो सहेलियों ने समलैंगिक शादी की लेकिन एक के पिता ने अपहरण का मामला दर्ज करा दिया। अब कोर्ट ने आरोपी को रिहा करने का अदेश दिया है।

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    पश्चिम चंपारण [जेएनएन]। दो सहेलियों ने समलैंगिक शादी रचाई। दोनों साथ रहने लगीं। इस बीच एक लड़की के पिता ने दूसरी पर अपहरण का मामला दर्ज करा दिया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लेकिन, कथित अपहृत लड़की ने कोर्ट में सहेली का बचाव किया। उसने मर्जी से शादी करने की बात कही। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी को रिहा कर दिया। 

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    पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज इस मामले की सुनवाई के दौरान कई गवाहों के बयान हुए। सबसे महत्वपूर्ण बयान अपहृत बताई जाने वाली लड़की ने दिया। उसने कोर्ट में अपने पिता के आरोपों का प्रतिवाद करते हुए कहा कि वह अपनी मर्जी से गई थी। उसने स्वीकार किया कि दोनों ने समलैंगिक शादी की है।

    जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सहजानंद शर्मा ने इस मामले में सहेली के अपहरण की आरोपी आर्निका कुमारी को निर्दोष मानते हुए रिहा कर दिया। पॉक्सो एक्ट के तहत हुई सुनवाई के दौरान कई गवाहों के बयान लिए गए। लेकिन, अपहरण का मामला साबित नहीं हुआ। मेडिकल जांच रिपोर्ट में भी कुछ ऐसा नहीं मिला जिसके आधार पर कार्रवाई हो पाती।

    सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता अखिलेश्वरनाथ त्रिपाठी ने कहा कि यह मुकदमा थाने में ही समाप्त हो जाना चाहिए था। धारा 164 के तहत पीडि़ता ने कोर्ट के समक्ष बयान दिया था कि वह मर्जी से आर्निका के साथ गई थी। मेडिकल रिपोर्ट में भी आपत्तिजनक तथ्य नहीं मिले। पीडि़ता की उम्र 19 वर्ष (बालिग) बताई गई थी। सरकार की ओर से एपीपी वीरेंद्र कुमार मल्ल और शम्शुल होदा ने दलीलें पेश की।

    क्या है मामला

    यूपी के रतनमाला निवासी युवती के पिता ने 22 मई 2015 को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि पुत्री का अपहरण यूपी की आर्निका कुमारी ने कर लिया। पुलिस ने प्राथमिकी (कांड संख्या 189/15) दर्ज कर छानबीन शुरू की। 2 अगस्त 2015 को अपहृता और अपहर्ता को पुलिस ने सिसवा (यूपी) से बरामद किया। दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे थे। पूछने पर इन लोगों ने समलैंगिक विवाह का दावा किया। पीडि़ता की मेडिकल जांच कराई गई। वहीं, आरोपी युवती को जेल भेज दिया गया था। उधर, लड़की की रिहाई के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। जानकारों का कहना है कि पुलिसिया तफ्तीश में चूक की वजह से निर्दोष आर्निका को 10 महीने जेल में रहना पड़ा।