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    मुलायम ने बिहार में छोड़ा था साथ, सता रही फिर से जनता परिवार की याद

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Fri, 28 Oct 2016 05:05 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन तोड़ चले गए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को फिर से जनता परिवार की याद आई है और इसकी कवायद करते हुए उन्होंने सपा की रजत जयंती में सबको न्यौता भेजा है।

    पटना [काजल]। कभी कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर जनता परिवार ने भारतीय राजनीति गठबंधन में एक इतिहास बनाया था। इस गठबंधन ने तब पहली बार गैर कांग्रेसवाद का नारा दिया था। लोहिया के उस नारे ने तब के समाजवादी परिवार को बड़ी संजीवनी दी और 1967 के विधानसभा चुनावों में नौ राज्यों में गैरकांग्रेसी सरकार बनी।

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    अभी के हालात भी कुछ एेसे हैं। कुछ ही महीनों में उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके पहले राज्य में मची सियासी हलचल के बीच फिर से बिहार की ही तरह भाजपा के खिलाफ जंग लड़ने की कवायद शुरु हो गई है। बिहार में भी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा जदयू की फूट के बाद जदयू ने सबसे बड़ा फैसला लिया था और गैर भाजपा दलों से साथ आने की बात की थी।

    बिहार में मुलायम सिंह ने एेन मौके पर छोड़ा था साथ

    जनता परिवार की एका की नींव तो बिहार में पड़ी लेकिन अपने कुछ मुद्दों को लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एेन मौके पर अपने हाथ खींच लिए, कहा जाता रहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह बिहार में कांग्रेस से हाथ मिलाना उन्हें गंवारा नहीं था।..खैर वजह जो भी हो, बिहार में सपा ने गठबंधन का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया और जनता परिवार की बात खत्म हो गई।

    रामगोपाल के कारण बिहार में सपा अलग हुई

    लेकिन बात अब खुलकर सामने आई कि रामगोपाल यादव के कारण बिहार में जनता परिवार का विलय नहीं हो पाया। सपा नेता शिवपाल यादव ने कहा कि पिछले साल रामगोपाल यादव ने बीजेपी के दबाव में आकर समाजवादी पार्टियां के विलय पर अड़ंगा लगाया था। एक अन्य नेता ने तो यह भी कह डाला कि तब अमर सिंह फैक्टर नहीं था। बीजेपी का दबाव था।

    उन्होंने बताया कि एक प्रस्ताव तैयार किया गया था जिसके मुताबिक विलय के बाद गठित नई पार्टी का नया चुनाव चिन्ह, झंडा और नेता मुलायम सिंह होंगे जिसे खारिज कर दिया गया और बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बना और इसके घटक तीन दल बने-राजद, जदयू और कांग्रेस। जो अभी मिलकर सरकार चला रहे हैं।

    मुलायम को देर से आई अकल

    अब जबकि अपने खुद के कुनबे में फूट और उत्तर प्रदेश में बीजेपी को रोकने की कवायद मुलायम पर भारी पड़ रही है। लालू जो मुलायम के समधी हैं और राजनीतिक हितैषी भी उन्होंने तो जदयू की बात अलग रख यूपी में मुलायम का साथ देने की पहले ही कसम खा ली थी, वहीं नीतीश कुमार ने अखिलेश का साथ देने की बात कही थी लेकिन शर्त यही है कि शराबबंदी को समर्थन देना होगा।

    अब चूंकि अपनी ही पार्टी में इतनी फजीहत होने के बाद सपा प्रमुख को फिर से जनता परिवार की याद आई है और वो फिर से सबको एकजुट करने की बात कह रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 5 नवंबर को सपा के रजत जयंती के कार्यक्रम में पार्टी तमाम उन पार्टियों को जोड़ने की कोशिश कर रही है जिन्होंने जेपी आंदोलन में हिस्सा लिया था।

    नीतीश, शरद, लालू, देवेगौड़ा को भेजेंगे न्योता

    शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव का संदेश लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं। इस दौरान वह जनता परिवार को साथ लाने की कोशिश करेंगे। शिवपाल, शरद यादव, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और एचडी देवेगौड़ा को न्योता देंगे और उन्हें लखनऊ में एक साथ मंच पर लाने की कोशिश करेंगे।

    5 नवंबर को हागा सपा का जयंती कार्यक्रम

    समाजवादी पार्टी 5 नवंबर को लखनऊ के जेनेश्वर मिश्रा पार्क में रजत जयंती का कार्यक्रम मनाएगी। इस कार्यक्रम में तमाम जनता पार्टी के नेता साथ आ सकते हैं। कार्यक्रम की तैयारी में तमाम पार्टी के नेता जुट गए हैं। खुद मुलायम सिंह यादव ने इस कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी गायत्री प्रजापति को दी है।

    नीतीश ने कहा- कुछ भी हो सकता है

    उत्तर प्रदेश में आसन्न चुनाव के मद्देनजर वहां गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि आज की तारीख में अभी कोई भी उत्तर प्रदेश के संदर्भ में समझौता अंतिम रुप नहीं ले सका है.

    नीतीश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी से कोई बातचीत नहीं हुई है। कांग्रेस पार्टी बडी पार्टी है और कुछ साल पहले तक कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी और फिर से कांग्रेस पार्टी ने सक्रियता बढायी है। स्वाभाविक है कि इन सभी चीजों का असर पडता है.

    जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश ने अपनी पार्टी के बारे में कहा कि जहां तक जदयू का प्रश्न है, अभी यूपी में गठबंधन के मामले में क्या होगा उसका कोई अंतिम स्वरुप नहीं उभरा है। अभी सब कुछ एक दूसरे से बातचीत के दौर में है।

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    जो प्रयोग बिहार में विफल हुआ यूपी में सफल रहे

    उन्होंने कहा कि जो प्रयोग महागठबंधन का बिहार में हुआ और जिस तरह से उसके पूर्व हमलोगों ने प्रयास किया कि पुराने जनता परिवार समाजवादी परिवार के छह दल एक साथ मिलने का निर्णय कर चुके थे, किन्तु इतना कुछ करने के बाद कुछ ऐसा हुआ कि बात आगे नहीं बढ सकी।

    नीतीश ने कहा कि हम लोगों ने प्रयास किया और प्रयास जरुरी एवं उचित था लेकिन बीच में बाधा डाली गयी किन्तु एक बार प्रयास कारगर या कामयाब नहीं हुआ तो आगे इस तरह का प्रयास नहीं होगा या प्रयास सफल नहीं होगा यह नहीं मान लेना चाहिये।

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    लालू ने कहा था - यूपी में सपा का प्रचार करेंगे

    राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने उत्तरप्रदेश चुनाव में अपना पाला तय कर लिया। उन्होंने कहा- मैं उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करूंगा। उन्होंने कहा- हम संघमुक्त भारत के हिमायती हैं। हर जगह से सांप्रदायिकता को उखाड़ फेंकना है। जितना हो सकेगा, यूपी में उतनी रैली करेंगे। यह काम धर्मनिरपेक्ष ताकतों के गोलबंद होने से ही संभव है।

    पांच नवंबर का इंतजार

    अब पांच नवंबर सपा की रजत जयंती का इंतजार रहेगा और देखना होगा कि उत्तरप्रदेश के लिए कौन सा नया समीकरण तय होगा। कभी कांग्रेस के खिलाफ एकजुटता दिखाने वाला जनता परिवार फिर से एक होगा? क्या बीजेपी से मुकाबला करने के लिए जनता परिवार के एका पर फिर से मुहर लग सकेगी?