Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब LPG की तर्ज पर रेल टिकट पर भी छोड़नी पड़ेगी सब्सिडी, रेलवे देगा विकल्प

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Thu, 06 Jul 2017 11:21 PM (IST)

    अब रसोई गैस की तर्ज पर रेल टिकट पर भी सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने की तैयारी है। हाल ही में इसे लेकर एक हाई लेवल बैठक हुई है। क्या है पूरा मामला, जानिए।

    अब LPG की तर्ज पर रेल टिकट पर भी छोड़नी पड़ेगी सब्सिडी, रेलवे देगा विकल्प

    पटना [जेएनएन]। क्‍या आप जानते हैं कि रेलवे को पैसेंजर किराए में करीब 43 फीसद सब्सिडी देती है। इससे होने वाले घाटा को पाटने के लिए रेलवे रसोई गैस की तरह यात्रियों को सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने वाला है। दानापुर रेल मंडल के एक अधिकारी की मानें ताे संभव है की अगस्त तक यह व्यवस्था लागू कर दी जाए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जानकारी के अनुसार सब्सिडी छोड़ने के लिए रेल मंत्रालय ने टिकट बुकिंग फॉर्म में अलग से कॉलम देने को मंजूरी दे दी है। जो यात्री सब्सिडी लेने पर टिक लगाएंगे, उन्‍हें सब्सिडाइज्ड रेल टिकट तो जो टिक नहीं नहीं  लगाएंगे, उन्‍हें फुल रेट पर टिकट दिया जाएगा। यह सिसटम ऑनलाइन बुकिंग पर भी लागू किया जाएगा। सब्सिडी लेने या ना लेने के विकल्प की व्यवस्था अगस्‍त से लागू की जा सकती है।

    रेलवे यह व्‍यवस्‍था यात्री किराया में हो रहे घाटा को पाटने के लिए कर रही है। वर्तमान में यात्री टिकटों पर करीब 43 फीसद सब्सिडी दी जाती है।

    सब्सिडी छोड़ने के लिए प्रेरित करने की यह व्‍यवस्‍था लागू करने के पीछे भी एक कहानी है। फरीदाबाद के अवतार कृष्ण खेर ने ऑनलाइन बुक किए गए टिकट के प्रिंट पर यह जानकारी देखी कि रेल किराए का 43 फीसद देश के आम नागरिक वहन करते हैं। इसके बाद उन्‍होंने अपने रेल टिकट में मिली सब्सिडी के 950 रुपये का चेक रेलवे को भेज दिया। इसके बाद रेलवे को टिकट बुकिंग के दौरान सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने का आइडिया आया।

    यह भी पढ़ें: अजब-गजब: इस इंसान की सांपों से दोस्ती, विषधरों से खेलना है शौक

    बताया जाता है कि रेलवे बोर्ड की हाल ही में हुई एक बैठक में रेल आरक्षण स्लिप में सब्सिडी छोड़ने का विकल्प देने पर चर्चा हुई। सीनियर सिटीजन सहित सभी कैटेगरी में यह विकल्प दिया जाएगा।

    यह भी पढ़ें: लालू ने सुशील मोदी को कहा कौआ, कहा- मंदिर पर बैठने से नाम नहीं बदलता