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    बिहार फार्मूले को पंजाब में हिट करने की कोशिश में प्रशांत किशोर, जानिए...

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Fri, 08 Apr 2016 10:19 AM (IST)

    पहले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए कामयाब प्रबंधन, फिर बिहार में नीतीश कुमार के लिए सियासी माहौल बनाकर प्रशांत किशोर (पीके) ने खुद को साबित किया है। अब वे बिहार फार्मूले को पंजाब में हिट कराने की कोशिश में जुटे हैं।

    पटना [अरविंद शर्मा]। पहले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए कामयाब प्रबंधन, फिर बिहार में नीतीश कुमार के लिए सियासी माहौल बनाकर प्रशांत किशोर (पीके) ने खुद को साबित किया है। अब वे बिहार फार्मूले को पंजाब में हिट कराने की कोशिश में जुटे हैं।

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    उनकी टीम 10 वर्षों से सत्ता से बाहर रहे कांग्र्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह की छवि को चमकाने-दमकाने की कोशिश में लग गई है। शुरुआत 'कॉफी विद कैप्टन से हो चुकी है।

    प्रशांत किशोर की करीब छह सौ प्रोफेशनलों की टीम दिन-रात काम कर रही है। कोर टीम में अधिकतर युवा वही हैं, जिन्होंने बिहार में महागठबंधन की जीत में प्रशांत का साथ दिया था। बिहार की तर्ज पर प्रशांत का सबसे पहला प्रयास पंजाब में कैप्टन की महाराजा वाली कड़क छवि को खत्म करने की है। इसके लिए उन्हें आम लोगों के प्रति सहज-सुलभ बनाने की कोशिश जारी है।

    चुनाव में अभी देर है। फिर भी अमृतसर में 'कॉफी विद कैप्टन' कार्यक्रम का आगाज 31 मार्च को ही कर दिया गया है। इसमें कैप्टन ने खुद को कॉफी वाला बताकर लोगों के दिलों में उतरने की कोशिश की।

    चुनावी माहौल के रफ्तार में आते ही प्रशांत की तैयारी 'घर-घर दस्तक भी शुरू करने की है। बिहार चुनाव में भाजपा के दिग्गज जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अहंकारी के रूप में प्रचारित कर रहे थे, लगभग उसी वक्त प्रशांत किशोर ने घर-घर दस्तक शुरू कर नीतीश को जनता के आदमी के रूप में प्रस्तुत किया था। पटना सिटी से अभियान का आगाज कर नीतीश ने हजारों घरों में खुद पहुंचकर दस्तक दी थी और बेहद शालीन अंदाज में अपने काम के आधार पर वोट मांगा था।

    हालांकि, पंजाब में अमरिंदर के लिए स्थितियां नीतीश कुमार से कुछ अलग हो सकती हैं। वहां पिछले 10 सालों से कैप्टन सत्ता से बाहर हैं एवं लगभग क्षत-विक्षत छवि के साथ कांग्र्रेस भी हाशिये पर है। इस बार आम आदमी पार्टी के रूप में एक मजबूत एवं नया प्रतिद्वंद्वी सामने है।

    ऐसे में अपनी पूर्व सरकार के कार्यों के आधार पर वोट मांगने से कैप्टन को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। प्रशांत को यह बेहतर पता है। शायद यही कारण है कि प्रशांत की पहली प्राथमिकता कैप्टन के इमेज रिपेयर से पहले सूबे की अकाली सरकार के खिलाफ जनमानस में माहौल बनाने की है।