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    CM नीतीश ने किया एलान, कहा - संघमुक्त भारत चाहिए तो पूर्वाग्रह त्यागकर साथ आएं

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Tue, 19 Apr 2016 07:16 AM (IST)

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरएसएस पर एक बार फिर हमला बोला है। अपने जनता दरबार के बाद पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा सही नहीं है।

    पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरएसएस पर एक बार फिर हमला बोला है। अपने जनता दरबार के बाद पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा सही नहीं है।

    नीतीश ने कहा कि देश में सहिष्णुता जरुरी है और भाजपा आरएसएस मिलकर असहिष्णुता का माहौल बना रहे हैं। हम आज भी कह रहे हैं कि देश को बचाने के लिए संघमुक्त भारत हमारा मुद्दा होना चाहिए। इसके लिए भाजपा और आरएसएस विरोधी सभी दलों को एकजुट होना जरुरी है।

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    मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के लोग शांति और सद्भाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने जो जनता से वादा किया था उन वादों को पूरा नहीं कर सकी और जब- जब यह मुद्दा जनता उठाती है तो उसे दिग्भ्रमित करने के लिए ये लोग मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए शांति और सौहार्द्र को बिगाड़कर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह के मुद्दे उठाकर लोगों को भड़काने का काम करते रहते हैं।

    नीतीश ने कहा कि हमने कभी अपने सिद्घांतों से समझौता नहीं किया। मैंने वादा किया था कि शराबबंदी प्राथमिकता होगी और मैंने उसे पूरा किया। बिहार की जनता आज बहुत खुश है। महिलाएं, बच्चे पुरूष सबमें शराबबंदी को लेकर उत्साह है।

    बिहार में शराबबंदी को लेकर लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं, लेकिन अटकलों से काम नहीं चलेगा अब हमने और बिहार की जनता ने यह ठान लिया है कि शराब से मुक्त बिहार चाहिए, बस अब क्या कोई अटकल लगाएगा। जो लोग बॉर्डर क्षेत्र में शराब की दुकानें खुलवा रहे हैं सबको विफल करना अब जरूरी है। हमने एसएसबी को भी अलर्ट किया है कि नेपाल से कोई शराब नहीं लाए इसका कड़ाई से पालन किया जाए।

    नीतीश ने कहा कि शराबबंदी के खिलाफ उठाने के लिए जहां से भी निमंत्रण आएगा हम वहां जाएंगे।

    जदयू के सांसद अनिल सहनी मामले में नीतीश ने कहा कि उनपर पार्टी कार्रवाई करेगी। मैंने नैैतिकता के आधार पर उनसे इस्तीफा देने के लिए भी कहा है। उनपर लगे आरोपों के लिए वे अपनी बात कोर्ट में रखेंगे। आरोपों के आधार पर जो कार्रवाई होगी वह उन्हें माननी होगी। कानून और संसद से बढकर कोई नहीं है और उनकी गरिमा पर कोई आघात करे यह बात बर्दाश्त नहीं की जाएगी।