राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का सवाल, केवल गरीबों के खिलाफ ही मुकदमें क्यों?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को राज्य में मानवाधिकारों के हनन की घटनाओं पर राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को जमकर ...और पढ़ें

पटना। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को राज्य में मानवाधिकारों के हनन की घटनाओं पर राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। आयोग ने पूछा कि प्रशासन केवल गरीबों पर ही मुकदमें क्यों दर्ज करता है?
स्वास्थ्य बीमा फजीवाड़ा में अब डॉक्टरों पर भी होगी कार्रवाई
समस्तीपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत फर्जी सर्जरी के मामलों इस पूर्ण पीठ ने राज्य सरकार के अधिकारियों को कहा कि आपने इस फर्जीवाड़े में उन लोगों के खिलाफ तो कार्रवाई की जिनका फर्जी तरीके से ऑपरेशन किया गया था। लेकिन, उन डॉक्टरों व निजी अस्पतालों के साथ-साथ उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने इस फर्जीवाड़े में अहम किरदार निभाया था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की इस पूर्णपीठ में आयोग के अध्यक्ष व सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू, आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति साइरस जोसफ, न्यायमूर्ति डी, मुरुगसेन और एससी सिन्हा शामिल थे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में हुई गड़बड़ी पर जवाब देते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति के प्रबंध निदेशक जीतेंद्र श्रीवास्तव ने आयोग को बताया कि समस्तीपुर जिला में इस मामले में कुल 14 केस दर्ज किए गए थे।
इस पर एससी सिन्हा ने कहा कि डीजीपी को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए कि उन डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई जिन्होंने फर्जी ऑपरेशन कर बीमा राशि के पैसे निकाल लिए। डीजीपी इस मामले की जांच कर आयोग को रिपोर्ट उपलब्ध कराएं, क्योंकि कार्रवाई केवल गरीब लोगों पर की गई है और डॉक्टरों व अन्य अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
फर्जी केस करते हैं और मुआवजा देने में आनाकानी!
एनएचआरसी की पूर्णपीठ ने गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को भी आड़े हाथों लिया। मामला हाजीपुर में अनिल कुमार ठाकुर के घर से अवैध हथियार बरामदगी का था। इस मामले में आरोपी अनिल ठाकुर का कहना है कि पुलिस ने उसपर झूठे आरोप लगाए हैं। इस मामले में कोर्ट ने भी उसे बरी कर दिया है।
जब गृह सचिव इस मामले में जवाब दे रहे थे तब उन्होंने कहा कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। तब आयोग ने गृह सचिव से कहा कि जब यह कोर्ट में साबित हो गया है कि आरोप झूठे थे तब आप किस आधार पर कह रहे हैं कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। एक तरफ आप गलत केस करते हैं और जब मुआवजा देने की बारी आती है तब आनाकानी करते हैं। इसपर गृह सचिव ने कहा कि आपका जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा।
ऊर्जा विभाग देगा करंट से नौ मौतों पर मुआवजा
रोहतास में एक बस के ऊपर बिजली का तार गिरने से वर्ष 2011 के अगस्त में नौ लोगों की मौत के मामले में एनएचआरसी की पूर्णपीठ ने ऊर्जा विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत से पूछा कि तब आपकी व्यवस्था कहां थी जब जर्जर तार किसी बस पर गिर जाता है?
इस मामले में प्रत्यय अमृत ने कहा कि बस की छत पर बैठकर यात्रा करना गैरकानूनी है। तब आयोग ने कहा कि जर्जर तार और लचर व्यवस्था को क्या कहते हैं? आयोग ने यह भी कहा कि आप जब केस करते हैं तब अमीर लोगों के खिलाफ क्यों नहीं करते? इस मामले में भी केवल बस के चालक के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई। इस पर प्रत्यय अमृत ने सभी मृतकों के परिजनों को मुआवजे के भुगतान की बात कही।
आर्सेनिक प्रभावित जिलों में प्लांट लगाए सरकार
एनएचआरसी ने बिहार सरकार को राज्य के सभी आर्सेनिक प्रभावित जिलों में आर्सेनिक मुक्त पेयजल की आपूर्ति के लिए प्लांट लगवाने का निर्देश दिया है। आयोग ने दरभंगा के तीन गांवों में कैंसर मरीजों की बढ़ रही संख्या का संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई में कहा कि सरकार उन इलाकों की पहचान करे जहां के पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है।
इस मामले में सरकार की ओर से जवाब देते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति के एमडी जीतेंद्र श्रीवास्तव ने आयोग को बताया कि दरभंगा के तीन गांवों में कैंसर के कुल 28 मरीज मिले हैं। इनमें 15 की मौत हो गई है जबकि 13 का इलाज जारी है।
इन सभी मरीजों को सरकार की ओर से इलाज के लिए दो-दो लाख रुपये का अनुदान दिया गया है। श्रीवास्तव ने आयोग को यह भी बताया कि यह अभी सुनिश्चित नहीं हुआ है कि कैंसर की असली वजह क्या है। क्योंकि इन तीनों गांवों में गले का कैंसर और ब्लड कैंसर के मरीज भी मिले हैं, जबकि आर्सेनिक से लीवर व किडनी के कैंसर अधिक होते हैं।

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