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    'कबहू ना छूटी छठी मइया' गीत हुआ वायरल

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 22 Oct 2017 01:39 AM (IST)

    पटना । दिवाली खत्म हुई और अब छठ का महापर्व बस कुछ दिन दूर है। पिछले साल छठ पर शारदा सिन्हा का गीत वायरल हुआ तो इस बार एक और गीत वायरल हो गया है।

    'कबहू ना छूटी छठी मइया' गीत हुआ वायरल

    पटना । दिवाली खत्म हुई और अब छठ का महापर्व बस कुछ दिन दूर है। पिछले साल छठ पर शारदा सिन्हा के गीत से हजारों-लाखों को भावुक करने वाले निर्देशक नितिन नीरा चंद्रा इस बार फिर छठ पर नया गीत लेकर आए हैं। शुक्रवार को चंपारण टॉकीज के बैनर तले जय ओम प्रोडक्शन के सहयोग से जारी नया वीडियो भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है। गीत के बोल हैं- 'कबहू ना छूटी छठी मइया, हमनी से व्रत तोहार।' अभी तक एक लाख से अधिक लोग इसे देख-सुन चुके हैं। इस बार शारदा सिन्हा की जगह अलका याग्निक और भरत शर्मा व्यास की आवाजें हैं। नायक और नायिका के किरदार में पिछले बार की तरह ही क्रांति प्रकाश झा और क्रिस्टिन जेडएक हैं। पेश है, नितिन चंद्रा से बातचीत के अंश।

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    पिछले छठ गीत की लोकप्रियता का इस बार के गीत पर क्या प्रभाव पड़ा? मेकिंग को लेकर।

    पिछले वीडियो के बाद लोगों में उत्सुकता बहुत थी की इस बार चम्पारण टॉकीज क्या करेगी। लोकप्रियता के कारण उम्मीद बहुत थी और अब परिणाम देखकर लग रहा है कि लोगों के दिलों में वीडियो उतर गया है।

    इस बार के वीडियो में नायक छठ कर रहा है। इस कहानी का प्लॉट दिमाग में कैसे आया?

    छठ ऐसा पर्व है जो पुरुष और स्त्री दोनों करते हैं लेकिन अमूमन हमेशा स्त्री को दिखाया जाता रहा है। इस बार सोचा कि क्यों न पुरुष को छठ करते दिखाएं। सारा बोझ औरत के माथे क्यों? बस यही से कहानी का प्लॉट मिला।

    अलका याग्निक जी को चुने जाने की कोई खास वजह?

    हमारी कोशिश है कि छठ में नई आवाज और नई ध्वनि आए ताकि बदलते हुए समय और सामाजिक मूल्यों में छठ आने वाली पीढ़ी में भी जि़ंदा रहे। आज से 25-30 साल बाद की तैयारी आज से करनी पड़ेगी।

    कितने दिनों में शूटिंग हुई। लोगों का कितना सपोर्ट मिला?

    शूटिंग दो दिन में हुई। मास्को, मिनेसोटा अमरीका से कई लोगों ने सपोर्ट किया। आओबिहार के माध्यम से कुछ धन एकत्रित किया गया। जय ओम प्रोडक्शन का साथ मिला। इसके अलावा फेसबुक पर भी कुछ दोस्तों ने मदद की।

    छठ गीत के संगीत का तर्ज पुराने गीत से ही लिया गया है?

    हां, ये छठ लोक संगीत की तर्ज है। इस पर सैकड़ों गाने हैं और व्यक्तिगत तरीके से ये तर्ज ऐसा दिलो दिमाग में घुसा है कि हमने बदलने के बारे में नहीं सोचा लेकिन आगे चलकर कुछ बदलाव लाएंगे।

    क्या वीडियो के प्रवासी नायक-नायिका कभी गांव-घर लौटकर भी छठ करेंगे?

    हा, अगर फिर बनाया तो कुछ ऐसा ही करने की कोशिश रहेगी।

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