जानिए, शहाबुद्दीन से जुड़े वो पांच कांड, जिनसे हिल गया था बिहार
यूं तो शहाबुद्दीन के नाम के साथ अपराध की कई खौफनाक कहानियां जुड़ी हैं, लेकिन कुछ की खास चर्चा रही है। आइए नजर डालते हैं ऐसी ही कुछ वारदातों पर, जिन्ह ...और पढ़ें

सिवान [जेएनएन]। सिवान के बाहुबली पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के अपराधों की लिस्ट लंबी है। लेकिन, कुछ मामले खास चर्चित रहे हैं। आइए, नजर डालते हैं ऐसे ही पांच मामलों पर, जिनसे बिहार हिल गया था।
राजपुर हत्याकांड : 13 सितंबर, 1996
सिवान के आंदर प्रखंड के राजपुरा गांव में हथियारबंद लोगों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी- लेनिनवादी) के नेता गुलाम हैदर के घर पर हमला बोल उनके पिता व एक रिश्तेदार के अलावा उनकी तीन साल की बेटी को मौत के घाट उतार दिया। ग़ुलाम हैदर उस वक्त अपने घर पर नहीं थे। इस मामले में मो. शहाबुद्दीन पर साजिशकर्ता होने का आरोप है।
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छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड : 31 मार्च, 1997
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी -लेनिनवादी) के आह्वान पर सिवान के जेपी चौक के पास धरना चल रहा था। तभी हथियारबंद लोगों ने उस धरने पर हमला बोल दिया, जिसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर और सीपीआइ (एमएल) के नेता श्याम नारायण यादव शामिल थे। इस घटना में कई लोगों को गोली लगी थी। हमले में चंद््रशेखर व श्याम नारायण यादव की मौत हो गई। मामले में भी शहाबुद्दीन की भूमिका को लेकर सीबीआइ जांच हुई थी।
प्रतापपुर गोली कांड : 06 मार्च, 2001
इस गोलीकांड में नौ लोगों की मौत हुई थी। उस दिन राजद के नेता मनोज कुमार की गिरफ्तारी के लिए आई पुलिस से शहाबुद्दीन और उनके समर्थकों की झड़प हो गई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के देवरिया से पुलिस बल मंगाना पड़ा और प्रतापपुर में मो. शहाबुद्दीन के घर घंटों तक उनके समर्थकों और पुलिस के बीच गोलीबारी होती रही।
इस गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे। पुलिस की गाडिय़ों में आग लगा दी गई थी और पुलिस ने घटनास्थल से तीन एके-47 राइफलें, हथगोले और दूसरे हथियार बरामद किए थे। मामले में शहाबुद्दीन को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। उनपर आरोप भी गठित किए गए थे।
तेजाब कांड : तीन भाइयों की हत्या 16 अगस्त 2004
यह सिवान में अब तक की सबसे जघन्य वारदात थी, जिसमें व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद के दो पुत्रों को तेजाब से नहलाकर मार दिया गया था। तीन साल बाद चंद्रकेश्वर प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र और घटना के चश्मदीद राजीव रौशन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसमें शहाबुद्दीन को साजिशकर्ता बनाया गया है। मामले में सिवान जिला कोर्ट ने शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसके खिलाफ उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड : 13 मई, 2016
दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर आए अपराधियों ने एक दैनिक अखबार के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वे अपने दफ्तर से घर लौट रहे थे। राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन का आरोप है कि शहाबुद्दीन उसके पति की हत्या में साजिशकर्ता हैं। इसकी जांच सीबीआइ कर रही है।

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