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    JDU ने RJD नेता रघुवंश पर कसा तंज-कौन सी जड़ी-बूटी खायी कि सुर बदल गए

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Sat, 01 Jul 2017 08:09 PM (IST)

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करने वाले राजद नेता रघुवंश प्रसाद ने कल उनकी जमकर तारीफ की। यह सुनकर जदयू प्रवक्ता नीरज ने तंज कसते हुए कहा कि अचानक रघुवंश कौन जड़ी-बूटी खा लिए।

    JDU ने RJD नेता रघुवंश पर कसा तंज-कौन सी जड़ी-बूटी खायी कि सुर बदल गए

    पटना [राज्य ब्यूरो]। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा नीतीश कुमार के समर्थन में आए वक्तव्य पर चुटकी लेते हुए जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज ने कहा कि आखिर रघुवंश बाबू ने कौन सी जड़ी-बूटी खाई है कि उनके सुर बदल गए। वह यह जानना चाहते हैैं।

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    उन्होंने कहा कि रघुवंश बाबू तो कहा करते थे कि शराबबंदी लागू करने में हम विफल रहे और यह भी कहा कि डेढ़ साल में राज्य के अंदर कोई काम नहीं हुआ है। ऐसे में अचानक उन्हें हमारी प्रशासनिक क्षमता का एहसास हुआ है। यह अच्छी बात है। पर उनका यह बदला हुआ सुर सुविधा के अनुसार है या फिर उनके दिल से निकला बयान, यह तो वही बता सकते हैैं।

    दरअसल नीतीश के मुखर आलोचक रहे राजद उपाध्‍यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कल अचानक यू टर्न लिया और  उन्‍होंने नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए उनको प्रधानमंत्री पद के लायक बताया। विदित हो कि ये वही रघुवंश हैं, जिन्‍होंने बीते दिनों जदयू द्वारा नीतीश कुमार को पीएम पद के लायक कहे जाने पर एतराज जताया था।

    मीडिया से बातचीत में रघुवंश प्रसाद सिंह के सुर बदले नजर आए। उन्‍होंने महागठबंधन की एकता को मजबूत बताया। कहा कि नीतीश कुमार मुख्‍यमंत्री बन गए हैं, अब आगे प्रधानमंत्री बनेंगे।

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    रघुवंश का यह बयान महागठबंधन में राष्‍ट्रपति चुनाव तथा जीएसटी के दो महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर तकरार के बाद आया है। दोनों मुद्दाें पर जदयू का स्‍टैंड महागठबंघन के अन्‍य घटक दलों से अलग रहा है। इसपर रघुवंश प्रसाद सिंह ने पहले मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की थी। लेकिन, अब उनके सुर बदले हुए हैं।

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    शिवानंद तिवारी पर भी नीरज ने अपनी प्रतिक्रिया दी। नीरज ने कहा कि शिवानंद तिवारी ने तो राजनीति से संन्यास लिया है लेकिन बीच-बीच में वह वैचारिक बाते करते हैैं। वैसे यह उनका निजी मामला है। सन्यास की घोषणा के बाद उनके अंदर जो वैचारिक उग्रता है उसे देख वह यह कह सकते हैैं कि संन्यासी को उग्रता से बचना चाहिए।