बिहार में 'कॉरपोरेट' का रूप ले चुका है अपहरण उद्योग
न केवल बिहार में बल्कि देश के कई राज्यों में अपहरण उद्योग अब 'कॉरपोरेट' का रूप ले चुका है। ...और पढ़ें

पटना [राजीव रंजन]। न केवल बिहार में बल्कि देश के कई राज्यों में अपहरण उद्योग अब 'कॉरपोरेट' का रूप ले चुका है। गया के नामी चिकित्सक डॉ. पंकज कुमार गुप्ता और उनकी पत्नी शुभ्रा गुप्ता अपहरण कांड की जांच में जुटी बिहार पुलिस की विशेष जांच टीम को जांच के आरंभिक चरण में ही इसके पुख्ता सबूत मिले हैं।
हालांकि डॉ. गुप्ता और उनकी पत्नी के अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अजय सिंह इतना शातिर निकला कि उत्तर प्रदेश पुलिस की रिमांड में रहने के बावजूद भी वह पूछताछ में इस अपहरण से संबंधित कोई खास जानकारी नहीं दे रहा। बिहार पुलिस अजय सिंह को अब ट्रांंजिट रिमांड पर लेकर पूछताछ की तैयारी में है।
डॉ. गुप्ता दंपती अपहरण कांड की जांच के सिलसिले में लखनऊ गई बिहार पुलिस की विशेष टीम में शामिल अधिकारियों की मानें तो अपहरण जैसे अपराध के बड़े खेल के खिलाडिय़ों ने अब अपना साम्राज्य बिहार के अलावा देश के कई अन्य राज्यों में फैला लिया है। विशेष टीम को अपनी जांच में पता चला है कि अपहरण के शातिर खिलाड़ी अब इस काम में किसी बड़ी कॉरपोरेट कंपनी की तरह 'आउटसोर्सिंगÓ का सहारा ले रहे हैं। किसी धनाढ्य के अपहरण में कई तरह के गिरोहों की मदद ली जाती है। यानी शिकार को उठाने का काम कोई अपराधी गिरोह अंजाम देता है। जबकि शिकार को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का काम कोई और गिरोह। यही नहीं, शिकार को अपने सुरक्षित ठिकाने पर रखने और फिर फिरौती की रकम के लिए परिजनों से संपर्क साधने वाले गिरोह भी अलग होते हैं। अपहरण कांड को अंजाम देना वाला मास्टरमाइंड इतना शातिर होता है कि वह कभी भी पर्दे पर नहीं आता। अगर उसके गिरोह का कोई साथी पुलिस के हत्थे चढ़ भी गया तो उसे इसकी भी जानकारी भी नहीं होती कि वह किसके लिए काम कर रहा था। डॉ. गुप्ता और उनकी पत्नी का अपहरण भी कुछ इसी अंदाज में किया गया। जांच में जुटी विशेष टीम के सूत्र बताते हैं कि इस अपहरण कांड को अंजाम देने में कम से 60 से 70 लोगों की भूमिका रही है। हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस अजय सिंह समेत केवल नौ अपराधियों को ही गिरफ्तार कर सकी है।
सूत्रों ने बताया कि 'कॉरपोरेट' की तर्ज पर काम करने वाले इन गिरोहों का मुख्य मकसद फिरौती की मोटी रकम हासिल करना है। भले ही वे एक-दूसरे के बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं रखते हों लेकिन फिरौती की रकम मिलने के बाद अपहरण कांड में शामिल सभी गिरोहों को उनकी भूमिका के आधार पर फिरौती की रकम का भुगतान कर दिया जाता है। बहुचर्चित सोहैल ङ्क्षहगोरा अपहरण कांड में भी कई गिरोहों की भूमिका का पता चला था और जब फिरौती के रूप में करोड़ों रुपये की वसूली भी की गई थी। इन गिरोहों को किए गए भुगतान के बारे में जब जांच की गई तो उसका भी खुलासा हो गया। ङ्क्षहगोरा अपहरण कांड से जुड़े अपराधियों के बैंक खातों ने भी कई राज खोल दिए। इस तरह के अपहरण कांडों में गिरोह की भूमिका के आधार पर उन्हें फिरौती की रकम से भुगतान किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि डॉ. गुप्ता व उनकी पत्नी के अपहरण कांड में गिरफ्तार अजय सिंह के आठ अन्य अपराधियों से पुलिस ने जब अलग-अलग पूछताछ की तब पता चला कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि डॉ. गुप्ता दंपती गया से लखनऊ कैसे पहुंचे।

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