ठंड में हृदय रोगी हरदम साथ रखें दो दवाएं
ठंड के मौसम में हृदय व फेफड़ा रोगी जरा संभल कर रहें।
पटना। ठंड के मौसम में हृदय व फेफड़ा रोगी जरा संभल कर रहें। क्योंकि, एक ओर सर्दी-खांसी व निमोनिया से छाती में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है, तो दूसरी ओर सोडियम-पोटैशियम के असंतुलन, रक्त नलिका सिकुडऩे व खून गाढ़ा होने से रक्तचाप बहुत बढ़ जाता है। इससे हृदयाघात समेत हृदय की अन्य समस्याएं शिकंजा कसने लगती हैं। यह कहना है राजधानी के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ सह हार्ट हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ. प्रभात कुमार का। डॉ. प्रभात के अनुसार ठंड के मौसम में हृदय रोगियों को हर दम अपने पास डिस्पिरिन व सार्बिट्रेट की गोलियां रखनी चाहिए। जैसे लक्षण हों तुरंत उस गोली को लेनी चाहिए। डॉ. प्रभात कुमार के अनुसार अभी ठंड बहुत ज्यादा नहीं है फिर भी रोगियों की संख्या में 20-25 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है।
मार्निंग वॉक का समय बदलें
डॉ. प्रभात के अनुसार सुबह पांच बजे या उससे पहले मार्निंग वॉक के समय ही तापमान बदलने पर सबसे ज्यादा बीपी बढ़ता है। इससे हृदयाघात, ब्रेन स्ट्रोक से लकवा आदि के मामले होते हैं। इसलिए तभी टहलने जाएं जब शरीर को बेहतर महसूस हो। यदि किसी कारण से अनिच्छा हो तो घर में हल्का-फुल्का व्यायाम कर लें।
ज्यादा पानी पीना भी हानिकारक
हृदय रोगियों को ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए। इससे किडनी पर कार्यबोझ बढऩे से शरीर में सोडियम व पोटैशियम की मात्रा असंतुलित हो जाती है। शरीर में सोडियम कम हो तो पानी कम पीएं क्योंकि अधिक नमक लेना घातक हो सकता है। कई लोगों को इसके लिए दवा देनी पड़ती है।
मौसमी संक्रमण से बचाव को लगवाएं टीका
ठंड में सामान्यत: सर्दी-खांसी, छाती व निमोनिया जैसे संक्रमण होते हैं। हृदय रोगियों के लिए ये घातक हो सकते हैं। इसके लिए निमोनिया फ्लू के टीके लगाना लाभदायी होता है। साथ ही सर्दी में एकबार हृदय रोगियों को सारी जांच करा कर देख लेना चाहिए।
सोडियम कम-ज्यादा होने के लक्षण
थकावट, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, काम में मन न लगना, घबराहट आदि।
अनियंत्रित पोटैशियम के लक्षण
धड़कन का अनियंत्रित होने से चक्कर आना।
कब लें इमरजेंसी दवाएं
डिस्पिरिन : सीने में दर्द व भारीपन महसूस होने पर तुरंत डिस्पिरिन चबाएं।
ठंड में समस्या बढऩे के कारण
तनाव, धूम्रपान, फास्टफूड का सेवन शारीरिक मेहनत कम करना, अनियंत्रित ब्लड प्रेशर व डायबिटीज, तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा।
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