नेपाल का हाल- कहीं राहत तो कहीं आपदा बनी बारिश
नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद गुरुवार को आई बारिश कहीं राहत तो कहीं आपदा बन कर बरसी। जबरदस्त पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों का बारिश ने जहां गला तर कर ...और पढ़ें

काठमांडू [संजय सिंह]। नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद गुरुवार को आई बारिश कहीं राहत तो कहीं आपदा बन कर बरसी। जबरदस्त पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों का बारिश ने जहां गला तर कराया, वहीं राहत कार्यों पर इसने पानी फेर दिया। इधर, मलबों के नीचे अभी कुछ लोगों के जिंदा होने की संभावना है। गुरुवार को नेपाली सशस्त्र बलों ने काठमांडू के हिल्टन होटल के मलबे से पेमा लामा (15) को जिंदा निकाल लिया। एक अन्य महत्वपूर्ण सूचना के अनुसार लोगों की राहत की मांग को देखते हुए नेपाल के शीर्ष नेताओं ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया है।
ग्रामीण इलाकों में अब भी राहत नहीं पहुंच पाई है। क्षतिग्रस्त सड़क मार्गों और बारिश के कारण ग्रामीण इलाकों में राहत पहुंचने में बाधा आ रही है। अधिकांश ग्रामीण इलाके पहाडिय़ों पर स्थित हैं। इस कारण परेशानी और बढ़ जाती है। राहत कार्यों में विलंब होने के कारण जगह-जगह पर हंगामे भी हो रहे हैं। नेपाली सशस्त्र सेना और प्रहरियों को भारी आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों के लोग भी राहत के लिए अब शहर की ओर रुख करने लगे हैं। हैदराबाद के रहने वाले मु. शरीफ और उनकी पत्नी गोसई बेगम ने बताया कि वे लोग हैदराबाद स्थित बिजनापल्ली के रहने वाले हैं। भूकंप के समय ये लोग टाटोपानी के पास थे। भूख ने इन्हें इस कदर मजबूर कर दिया कि चार हजार रुपये में ट्रैक्टर रिजर्व कर ये लोग नारायणघाटी आए। मोरंग जिले के रहने वाले शेर बहादुर थापा चाय की दुकान चला कर अपना जीवन काट रहे थे, लेकिन राहत न मिल पाने का इन्हें दुख है। कहते हैं-वीआइपी लोगों को विशेष सुविधा दी जा रही है। सैन्य अधिकारी, जवान और सिविल अधिकारी पहले अपने और अपने परिजनों के लिए राशन जमा कर रहे हैं। उसके बाद ही ये पीडि़तों की ओर रुख करते हैं। दक्षिण काली मंदिर के समीप फूल बेचकर जीवन यापन करने वाले झाला नाथ थापा की व्यथा भी कुछ ऐसी ही है। भूकंप के बाद मंदिर में आने वालों की संख्या नगण्य है। परिणामस्वरूप इनके पास पेट भरने तक के पैसे नहीं हैं। अब ये राहत कैंप में लोगों का खाना बनाकर अपना पेट भर रहे हैं।
सुनीता दक्षकार ने बताया कि नेपाल के शीर्ष नेताओं के मोबाइल फोन बंद हैं। वे लोगों की राहत की मांग से परेशान हो चुके हैं। आखिर लोग अपनी शिकायत करें तो किससे। कुल मिलाकर भूकंप के बाद छठे दिन भी लोग अनाज और पानी के लिए तड़पते रहे। काठमांडू की हालत तो कुछ सुधरी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अब भी स्थिति बदतर है।
पाकिस्तान से आए पैकेट को लेकर विवाद
काठमांडू में विभिन्न देशों से मदद के तौर पर राहत सामग्री भेजी जा रही है, लेकिन पाकिस्तान ने 'मील्स रेडी टू इट' व बीफ मसाले के पैकेट भेजे हैं। इसे लेकर ललितपुर में भूकंप पीडि़तों ने राहत सामग्री लेने से इन्कार कर दिया। इसके विरोध में लोगों ने हंगामा किया। वहां के नागरिक भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री ही अधिक ले रहे हैं। पाकिस्तान द्वारा बीफ मसाला के पैकेट भेजे जाने के बाद लोग किसी भी देश की राहत सामग्री भले ही ले लें, पाकिस्तानी राहत सामग्री से परहेज कर रहे हैं। इन तथ्यों की पुष्टि करने के लिए जांच की बात कहे जाने की भी सूचना मिली है।
मौत पर 40 हजार मुआवजा
नेपाल में प्राकृतिक आपदा से मौत होने पर 40 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर मिलते हैं। ये लगभग 25 हजार भारतीय रुपये के बराबर हैं। नेपाल स्थित फोरम लोकतांत्रिक पार्टी के केंद्रीय सदस्य दिलीप धारेवाल का कहना है कि गोरखा, सुंदरी, भक्तपुर, ललितपुर के ग्रामीण इलाकों में स्थिति भयावह है। राहत प्रक्रिया इतनी जटिल है कि बिचौलिए मालामाल और पीडि़त हलकान हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां प्राकृतिक आपदा में मरने वालों को मिलने वाला अनुदान ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।
सूर्य अस्त और नेपाल पस्त
काठमांडू में सैलानियों को कैसीनो और डिस्को आकर्षित करते थे। आपदा के बाद क्लब, पब, कैसीनो व डिस्को आदि बंद हैं। नया बस पार्क, दरबार मार्ग और थमेल में इनकी बहुतायत थी। कई बीयर बारों और शराब दुकानों में ताले लटके हुए हैं। यद्यपि, नेपाल में यह उक्ति मशहूर थी कि सूर्य अस्त और नेपाल मस्त, लेकिन अब यहां लोग सूर्य अस्त और नेपाल पस्त कहने लगे हैं।

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