Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जागरण यूथ पार्लियामेंटः चार दिवसीय मानसून सत्र शुरू, पहले दिन बंटा मंत्रालय

    By Pramod PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 15 Oct 2016 10:04 PM (IST)

    युवाओं को संसदीय परंपरा की जानकारी देने के लिए जागरण की नई पहल 'जागरण यूथ पार्लियामेंट' का मानसून सत्र आज से पटना में शुरू हुआ। पहले दिन मंत्रालय झटकने की आपाधापी रही।

    पटना [ जेएनएन ]। राजधानी पटना सहित देश के दस विभिन्न शहरों में जागरण यूथ पार्लियामेंट का मानसून सत्र शनिवार से शुुरू हुआ। सत्र का पहला दिन रोमांच से भरपूर रहा। पाटलिपुत्र स्थित होटल बुद्धा हेरिटेज में आयोजित कार्यक्रम में युवा सांसदों की वोटिंग के जरिए मंत्रिमंडल का गठन किया। 50 सांसदों वाले सदन में 10 कैबिनेट मंत्री बनाए गए। सभापति, उप-सभापति के साथ नेता प्रतिपक्ष का भी निर्वाचन हुआ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पक्ष और विपक्ष के विभाजन के साथ ही अब युवा सांसदों का सदन कार्यवाही के लिए तैयार हो गया है। रविवार से सदन में विभिन्न बिलों पर चर्चा शुरू होगी।

    युवा सांसदों ने जानी नामांकन की प्रक्रिया

    शनिवार की सुबह युवा सांसदों को सबसे पहले नियमों, सदन की कार्यवाही और सदन की महत्ता के बारे में बताया गया। कंसल्टेंट एजेंसी टफहोप के राजेश और रजत ने सांसदों को उनके दायित्वों व अधिकारों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद मौका आया मंत्रिमंडल के गठन का।

    पढ़ेंः फिर से एक साल का ही हो जाएगा बीएड कोर्स, जानिए कैसे ?

    इस बात की घोषणा के साथ ही कुछ चेहरों पर तनाव दिखा तो कुछ चेहरे शुरू से ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखे। युवाओं को बताया गया कि मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए सांसदों को किस प्रकार से नॉमिनेशन करना है। कौन उनके लिए वोट करेगा और उनकी जीत का पैमाना क्या होगा ?

    वोट पाने के लिए पेश की दावेदारी

    यूथ पार्लियामेंट में आए युवा सांसद अपनी पहली सभा में ही वोट के महत्व को भी समझ रहे हैं। मंत्री व स्पीकर पद के लिए अपने नॉमिनेशन के बाद युवाओं ने वोट की अपील भी की। हर दावेदार को इसके लिए डेढ़ मिनट दिए गए। दावेदारों के पास समय भले ही कम रहा हो, लेकिन शब्दों की कोई कमी उनमें नहीं दिखी।

    महज डेढ़ मिनट के अपने भाषण में ही उन्होंने यह साबित करने का हर प्रयास किया कि वे जिस पद के दावेदार हैं उस मंत्रालय के बारे में उनके पास जानकारी की कोई कमी नहीं।

    पढ़ेंः कांग्रेस MLA की बेटी हैं नेहा शर्मा, जानिए क्यों हैं आजकल चर्चा में

    कोई शायराना तो कोई आक्रामक

    कुर्सी पाने के लिए सांसदों ने एक से बढ़कर एक जतन किए। किसी ने लच्छेदार भाषण से सांसदों का वोट जीतने की कोशिश की तो किसी ने शेर-ओ-शायरी से। किसी ने अपने भाषण में आक्रामकता पर जोर दिया। सांसदों के अलग-अलग वोट अपील की तारीफ भी हुई और खूब तालियां भी बजीं।

    विपक्ष के नेता की कुर्सी सबसे फेवरेट

    यह संसद एक मायने में काफी अलग दिखी। इस संसद में अधिकांश युवा सांसद मंत्री पद की लालसा के बजाय प्रतिपक्ष के नेता का पद पाने के लिए ज्यादा उत्साहित दिखे। शायद इसी का नतीजा है कि नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए सदन को अकेले 14 आवेदन प्राप्त हुए। विपक्ष में बैठने वाले सांसद इस बात के पैरोकार हैं कि यदि देश में बदलाव चाहिए तो विपक्ष को और मजबूत होना होगा।

    साथ ही अपनी भूमिका के महत्व को समझ कर उस अनुसार 'रिएक्ट' भी करना होगा।

    जब अल्पमत में आ गया सत्तापक्ष

    मंत्रिमंडल के गठन के बाद जब सदन को सत्ता और विपक्ष में बांटने की बारी आई तो भी विपक्ष का पलड़ा भारी दिखा। मंत्रियों व उनके सहयोगी मिलाकर सत्ता पक्ष में सिर्फ 20 सांसद ही थे जबकि विपक्ष में 26 सांसद बैठे थे। इसके बाद मंत्रियों के समझाने और सवाल पूछने की आजादी मिलने पर चार से पांच सांसद विपक्ष से सत्ता पक्ष में शामिल हुए।

    वोटिंग पैटर्न में बदलाव की उठी मांग

    सदन में उस वक्त कुछ तनाव सा भी दिखा जब कुछ सांसदों ने संसद और विधानसभा में वर्षों से चले आ रहे वोटिंग पैटर्न में बदलाव की मांग उठा दी। मसला गंभीर था नतीजा आपसी राय शुमारी बनाई गई तब जाकर तय हुआ कि वोटिंग पैटर्न आवश्यक है। जरूरत पड़ी तो भविष्य में इसमें बदलाव पर सभा सांसद विचार करेंगे और कोई नतीजा निकालेंगे।

    तय हो गया कि वोटिंग होगी और उसके आधार पर ही सांसदों के मंत्री बनने पर मुहर लगेगी। महत्वपूर्ण यह रहा कि सभा संचालक को इस पूरी सभा के संचालन में कोई विशेष परेशानी नहीं उठानी पड़ी क्योंकि यहां जो सांसद हैं वे पढ़े लिखे हैं और वे तर्क की कसौटी पर अपनी बातों के साथ ही दूसरों की बातों और मुद्दों पर कसना भी जानते हैं।

    इनको मिली कुर्सी

    अभिजीत कुमार दुबे - स्पीकर

    डेजी सिंह - डिप्टी स्पीकर

    राहुल पासवान - नेता प्रतिपक्ष

    कुमार मिलन झा - गृह मंत्री

    ऋतंभरा - वित्त मंत्री

    जितेन्द्र कुमार साहू - विदेश व रक्षा मंत्री

    कृष्ण किंकर - ग्रामीण एवं शहरी विकास मंत्री

    जय कर्ण - मानव संसाधन विकास मंत्री

    पवन कुमार - कानून मंत्री

    हर्षित भारती - पटना अफेयर्स एवं संसदीय कार्य मंत्री

    आभास उपाध्याय - सामाजिक न्याय मंत्री

    गौरव प्रकाश - आपदा प्रबंधन मंत्री

    शुभम आनंद - कला, संस्कृति एवं युवा मंत्री

    ये हैं सत्ता पक्ष के सदस्य

    शुभम आनंद, सूरज प्रकाश, रवि रंजन कुमार, केशव कुमार, मो. इब्तेसाम, ऋतंभरा, कुमार मिलन झा, जय कर्ण, रविन्द्र कुमार, कृष्ण किंक, पवन कुमार, हर्षित भारती, सूचित कुमार, गौरव प्रकाश, ओम राज, आभास उपाध्याय, विशाल आनंद दुबे, अविनाश कुमार, सत्यम कुमार दुबे, आयुषि अंशुमान, मनीष कुमार, ज्योति कुमारी, मनीष कुमार, दीपक कुमार जायसवाल, अरविंद कुमार।

    ये हैं विपक्षी सांसद

    प्रभात कुमार सिन्हा, रवि रंजन सिंह, रश्मि रानी, सोनल, रंधीरा, विवेक सागर, राजीव कुमार रंजन, नागेन्द्र कुमार, विवेक कुमार, विकास कुमार, मधुरेन्द्र मुकुल, राहुल पासवान, अनुरुद्ध कुमार, सौरभ सुमन, विक्रांत आनंद, नीरज कुमार, सुभाष कुमार, मधुकर रंजन।