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बिहार : Ex MLA ऊषा सिन्हा का कारनामा ...आठ की उम्र में मैट्रिक, एक साल में MA

बिहार बोर्ड के घोटाले की जांच के दौरान रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। अब इस मामले की आरोपी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की पत्नी ऊषा सिन्हा की डिग्रियां भी सवालों के घेरे में हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 13 Jun 2016 10:25 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jun 2016 10:13 AM (IST)

पटना [अमित आलोक]। बिहार बोर्ड के रिजल्ट घोटाले की जांच के दौरान राेज नए खुलासे होते जा रहे हैं। इस मामले में बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद तथा उनकी पत्नी व जदयू से पूर्व एमएलए डॉ. ऊषा सिन्हा को भी आरोपी बनाया गया है। ऊषा सिन्हा की पड़ताल के दौरान उनके खुद के मैट्रिक से लेकर एमए तक के रिजल्ट पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

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आठ साल में मैट्रिक

मिली जानकारी के अनुसार बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद की पूर्व विधायक पत्नी ऊषा सिन्हा ने आठ साल की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। वर्ष 2010 में हिलसा विधानसभा सीट के चुनाव के दौरान हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 49 साल बताई थी। शिक्षा का विवरण देते हुए लिखा था कि 1969 उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा यूपी बोर्ड से पास की है।

शपथ पत्र के अनुसार उनका जन्म 1961 में हुआ। अर्थात् आठ साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी।

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10 में इंटर, 12 में स्नातक

इतना ही नहीं, ऊषा सिन्हा ने आगे 1971 में 10 साल की उम्र में ही इंटर की परीक्षा पास कर ली थी। इसके बाद 1973 में 12 साल की उम्र में उन्होंने स्नातक कर लिया था। इसके अगले साल साल बी.एड. भी उत्तीर्ण कर गईं थीं।

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13 साल की उम्र में बीएड का 'रिकार्ड'

रिकार्ड बनाते हुए महज 13 साल में उन्होंने बीएड कर लिया था। बीएड के बाद भी ऊषा सिन्हा के पढऩे की 'लालसा कम न हुई। वह शायद देश की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने 15 साल की उम्र में एमए की डिग्री हासिल कर ली है।

एक साल में मिल गई एमए की डिग्री

शपथपत्र के अनुसार 1976 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के अवध विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली। खास बात यह है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1975 में हुई थी। विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद मात्र एक साल में उन्हें एमए की डिग्री कैसे दी, यह भी जांच का विषय है। विश्वविद्यालय दो साल में एमए की डिग्री देते हैं।

शैक्षणिक योग्यता व नियुक्ति पर सवाल

चुनावी हलफनामे को आधार मानें, तो ऊषा सिन्हा की शैक्षणिक योग्यता और बाद में प्रोफेसर और प्राचार्य के रूप में उनकी नियुक्ति सवालों के घेरे में है।

नए घोटाले की आशंका

सूत्र बताते हैं कि जिस उम्र में ऊषा सिन्हा के उपरोक्त परीक्षाओं के उत्तीर्ण होने की बात कही जा रही है, वह कतई संभव नहीं है। इस बाबत बिहार बोर्ड व संबंधित विवि के अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात से इंकार नहीं कि अगर मामले की जांच हो तो उम्र या डिग्री का कोई नया घोटाला सामने आने की आशंका है। ऊषा सिन्हा फिलहाल फरार हैं, इसलिए इस बाबत उनका पक्ष ले पाना संभव नहीं हो सका।


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