सोचता हूं ऐसा आदेश पारित करूं कि सारे कर्मचारी पटना में ही रहें
17 साल तक एक जगह तैनात रहने के बाद स्थानांतरित किए गए चिकित्सक के स्थानांतरण पर रोक संबंधी याचिका पर उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कड़ी टिप्पणी की।
पटना (निर्भय सिंह)। 17 साल तक एक जगह तैनात रहने के बाद स्थानांतरित किए गए चिकित्सक के स्थानांतरण पर रोक संबंधी याचिका पर उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कड़ी टिप्पणी की। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हैरत जाहिर करते हुए पूछा कि आखिर ऐसा क्यों है कि कोई पटना से हटना ही नहीं चाहता! पीएमसीएच से गया सिविल सर्जन कार्यालय भेजे गए एक डॉक्टर के स्थानांतरण पर न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सोचता हूं ऐसा आदेश पारित करूं कि सारे कर्मचारी पटना में ही रह जाएं।
उक्त डॉक्टर के स्थानांतरण पर अदालत ने रोक लगाने से इन्कार कर दिया। टिप्पणी की कि चिकित्सक पीएमसीएच से तबादला कराकर एनएमसीएच चले आते हैं, या फिर एनएमसीएच से पीएमसीएच आना चाहते हैं। न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि लंबे समय से एक जगह बने रहने का यह मतलब नहीं कि उसी जगह बने रहना किसी का जन्मसिद्ध अधिकार हो जाए।हाइकोर्ट में दायर की गई याचिका में पीएमसीएच में क्लीनिकल पैथोलॉजी में कार्यरत डॉ. शिव शंकर प्रसाद की ओर से कहा गया था कि उनका मूल काम अध्यापन है। ऐसे में उनका तबादला सिविल सर्जन कार्यालय में नहीं होना चाहिए। उन्हें किसी मेडिकल कॉलेज में पदस्थापित किया जा सकता है। याचिका में यह जानकारी भी दी गई कि याचिकाकर्ता तीन साल में बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसकी क्या गारंटी है कि डॉक्टरों के सेवानिवृत्त होने की उम्र नहीं बढ़ाई जाएगी। रिटायरमेंट की उम्र पहले 60 साल थी, जो बढ़ाकर 62 और फिर 65 साल कर दी गई।
तर्क दिया गया कि कुछ लोग 17 साल से भी ज्यादा समय से एक ही जगह बने हुए हैं। इस पर अदालत ने कहा कि गुड्ड् बाबा (एक लोकहित याचिकाकर्ता) सही कर रहे हैं। उन्हें डॉक्टरों की एक ऐसी सूची भी देनी चाहिए, जिससे यह पता लगे कि कौन कितने दिनों से एक जगह टिका हुआ है। इस तर्क के विफल हो जाने पर वकील ने कहा कि उक्त डॉक्टर की पत्नी भी पटना में ही पदस्थापित हैं। बेहतर होता दोनों एक ही जगह रह जाते। इस पर कोर्ट ने काफी तल्ख टिप्पणी की। पूछा, कहीं खजांची रोड में डॉक्टर साहब की क्लीनिक तो नहीं है? पीएमसीएच की 151 मशीनें खराब हैं और कुछ लोग इन्हें चालू नहीं होने देना चाहते। यदि ये चालू हो गईं तो काम करना पड़ेगा और बाहर चल रही क्लीनिक पर भी असर पड़ेगा। काफी याचना के बाद अदालत ने संबंधित अधिकारियों से निवेदन करने को कहा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।