मोदी के मन की बात कहती है फिल्म 'चकल्लसपुर' 26 मई को हो रही रिलीज
यूूपी और बिहार के बॉर्डर पर एक गांव है, नाम है चकल्लसपुर जो 26 मई को देशभर के सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज होने जा रही है। फिल्म के डायरेक्टर बिहार से हैं।
पटना [जेएनएन]। 26 मई को देशभर के सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज होने जा रही फिल्म चकल्लसपुर अलग हटकर एक एेसे गांव की कहानी है जो बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा है। इस गांव के ग्रामीण अगर किसी सहायता की मांग करते हैं, तो दोनों ही राज्य की सरकारें एक दूसरे को ज़िम्मेदारी बताकर अपना पल्ला साफ झाड़ लेती हैं और गांववाले इसे अपना भाग्य समझ कर चुप्पी साध लेते है।
कहानी कुछ एेसी है चकल्लसपुर की
इसी गांव का सीधा-साधा लड़का बिल्लू केवल दस साल की उम्र में गांव छोड़ कर शहर चला जाता है। लंबे अंतराल के बाद में जब गांव लौटता है, तो गांव की दशा देकर गांव की काया पलटने का मन बना लेता है। गांव वासियों को बिल्लू में एक उम्मीद की किरण जागती है कि वह उनके सारे अधूरे सपनों को पूरा करेगा।
बिल्लू हर पल अपने गांव और गांव वासियों की तकलीफों को लेकर सोचता रहता है, लेकिन जब एक साधारण सी बीमारी के चलते गांव के बच्चों की मौत हो जाती है तो बिल्लू की चिंता और भी बढ़ जाती है, वह गांव वालों को प्रेरित करता है कि खेती करो , मेहनत करो, गांव में अस्पताल बनाओ, लेकिन बिल्लू की बात को, गांववाले हंसकर उड़ा देते हैं क्योंकि दो साल से बारीश नहीं हुई और सिंचाई के लिए पानी का कोई भी साधन नही है।
बिल्लू अपने अथक प्रयासों से खेती करने की सोचता है लेकिन सरकारी अनुदान के लिए भागते भागते बिल्लू टूट जाता है, ऊपर किसी-किसी पर साहूकार का कर्ज का बोझा। बिल्लू को आशा की किरण नज़र आती है, जब वह रेडियों पर सुनता है देश के प्रधानमंत्री की मन की बात..वह प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी अवाज़ एक साधारण से पत्र के जरिए पहुंचाता है।
प्रधानमंत्री अचानक ही बिल्लू के गांव चकल्लसपुर का दौरा करते हैं और फिर पूरी होती है सभी गांव वालों की ‘‘मन की बात‘‘।नायक मुकेश एवं नायिका उर्मिला महन्त के अभिनय से सजी इस फिल्म के , छायाकार कौशिक मण्डल, संगीतकार ,परवेज़ मलिक तथा गीतकार राम गौतम और प्रकाश धरमल हैं।
निर्देशक रजनीश हैं बिहार के, प्रकाश झा के असिस्टेंट
बचपनसे ही एक्टिंग का शौक था। यह इच्छा तब पूरी हुई, जब अपने पैतृक शहर हाजीपुर से पटना होते हुए ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए दिल्ली की राह पकड़ी। दिल्ली विवि से बीए की पढ़ाई करने के दौरान देश की राजधानी की चर्चित नाट्य संस्था ‘एक्ट वन’ से जुड़े। एनके शर्मा के नेतृत्व वाली इस संस्था से जुड़कर कई वर्षों तक नाटक किया। इस दौरान कई नाटक भी लिखा। बाद में फिल्म निर्माण से संबंधित डिप्लोमा कोर्स किया।
प्रसिद्ध फिल्मकार प्रकाश झा की फिल्म निर्माण कंपनी से जुड़ कर अपनी फिल्मी कॅरियर की शुरुआत करने वाले रजनीश के लिए यह निर्णय आसान नहीं था। बाद में माता-पिता किरण जायसवाल और लक्ष्मण चौधरी ने इसकी इजाजत दे दी तो अपने सपनों में रंग भरने के सफर पर निकल पड़े रजनीश।
अंतिम आदमी तक का संघर्ष उभारने की सोच
‘चकल्लसपुर’ के जरिए देश की आम जनता और उसके आसपास के परिवेश, निराशा के बीच संघर्ष की इच्छाशक्ति को दिखाने की कोशिश मानते हैं रजनीश। कहते हैं कि गांवों में आज भी छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं के बराबर मिलता है।
इस फिल्म की कहानी में यह सबकुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ के साथ रोचक ढंग से समन्वित कर दिखाया गया है। इस फिल्म को रियलिस्टिक मानने वाले रजनीश कहते हैं कि फिल्म में गांव की गरीबी और बदहाली को दूर करने के उपायों की ओर भी इशारा किया गया है।
फिल्म के अधिकतर कलाकारों की पृष्ठभूमि रंगमंच से जुड़ी हैं। पटना रंगमंच से जुड़े 1980-90 के चर्चित अभिनेता और टीवी एंकर ध्रुव कुमार प्रधानमंत्री की भूमिका में हैं।
पहले पटना फिल्म फेस्टिवल, फिर एशियन फिल्म फेस्टिवल, उसके बाद प्रतिष्ठित एनएफडीसी फिल्म बाजार, लॉस एंजलिस और दुबई फिल्म फेस्टिवल में ‘चकल्लसपुर’ के प्रदर्शन से चर्चा में आए 32 साल के रजनीश जायसवाल ने कुछ नया, अलग और रचनात्मक करने की चाह में फिल्म मेकिंग की राह पकड़ ली। एक मध्यवर्गीय व्यवसायी के घर पैदा होने वाले रजनीश को इसके लिए काफी पापड़ बेलने पड़े। लेकिन, आज वह चर्चा में हैं।
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रजनीश मानते हैं कि फिल्म सामाजिक क्रांति का सशक्त माध्यम हैं, लेकिन इसके लिए फिल्मकारों को अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता को समझना होगा। पटना रंगमंच की प्रगति से प्रसन्न रजनीश चाहते हैं कि जिस तरह भोपाल एक फिल्म सिटी के रूप में विकसित हुआ है, पटना की संभावनाओं पर भी राज्य सरकार ध्यान दे।
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