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    प्रथम राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की रिलेटिव है 'साहेब बीवी और गैंगस्टर' की ये एक्ट्रेस, जानिए

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jul 2017 09:29 PM (IST)

    तिगमांशु धूलिया की फिल्म साहेब बीवी और गैंगस्टर से चर्चा में छा जाने वाली श्रेया नारायण देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की परपोती हैं।

    प्रथम राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की रिलेटिव है 'साहेब बीवी और गैंगस्टर' की ये एक्ट्रेस, जानिए

    पटना [जेएनएन]। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार से थे। लोग उनके बारे में कई सारी बातें जानते हैं। लेकिन शायद ही लोगों को मालूम होगा कि आज उनके परिवार की एक बेटी श्रेया बॉलीवुड एक्ट्रेस हैं। मुजफ्फरपुर में जन्मी श्रेया को तिग्मांशु धुलिया की फिल्म 'साहेब बीवी और गैंगस्टर' में महुआ के रोल से पहचान मिली थी। श्रेया लेखिका व समाज सेविका भी हैं।

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    सोनी टीवी पर आने वाले शो ‘पावडर’ से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली श्रेया ने कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है, जिसमें शामिल है एक दस्तक, नॉक आउट, तनु वेड्स मनु, सुपर नानी, रॉकस्टार, राजनीति।

     

    लेकिन 2011 में आयी तिगमांशु धूलिया की फिल्म साहेब बीवी और गैंगस्टर से श्रेया को फिल्‍मी जगत में एक नई पहचान बनी। हाल ही में उन्होंने सुपर नानी में दिमागी तौर पर बीमारी लड़की का किरदार निभाया था। इसी के साथ श्रेया ने कोसी नदी बाढ़ के दौरान प्रकाश झा के साथ बिहार बाढ़ राहत मिशन में भी काम किया था।

     

    बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रेया की मां कैंसर से पीड़ित थीं, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। श्रेया ने थिएटर के सहारे ही अपने जीवन को एक नई दिशा और दशा दी। श्रेया का मानना है कि जब तक आप फिल्म इंडस्‍ट्री में कुछ बन नहीं जाते, तब तक आपका शोषण होता रहता है।   

     

    गुलाबी शहर में पली-बढ़ी देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की परपोती श्रेया नारायण बॉलीबुड की बोल्ड एक्ट्रेस हैं। श्रेया का कहना है कि कलाकार अलग-अलग तरह के किरदार निभाते हैं तो आपको ऐसा तरीका मिल जाता है, जिससे आप अपनी शख़्सियत को किसी फ़िल्मी किरदार में ढालकर उसे फ़िल्म ख़त्म होने के बाद छोड़ सकते हैं।

     

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    वे आगे कहती हैं कि जब मैं अपनी मां से मिलने अस्पताल जाती थी तो मैं एक ज़िम्मेदार बेटी होती थी और जब मैं उन्हें छोड़कर शूटिंग पर जाती थी तो मैं बस वह किरदार बन जाती थी, जिसे मैं निभा रही होती थी। ऐसा करने से आप अपनी भावनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण रख पाते हैं। 

     

    श्रेया ने एक इंटरव्यू में कहा था कि थिएटर ने उन्हें उनकी पहचान और खुशी दिलाई, क्योंकि वह बचपन में एक नाखुश बच्चे की जिंदगी जी रही थीं। 

     

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