Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार: राज्यकर्मियों को 7वें वेतन के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Wed, 29 Mar 2017 08:37 PM (IST)

    राज्यकर्मियों को सातवें वेतन आयोग के लिए अभी दो महीने और इंतजार करना होगा। बिहार की कैबिनेट ने सातवें वेतनमान की सिफारिशों को लागू करने के लिए की अवधि दो माह बढ़ा दिया है।

    बिहार: राज्यकर्मियों को 7वें वेतन के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा

    पटना [जेएनएन]। राज्यकर्मियों को 7वें वेतन के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। कैबिनेट ने सातवें वेतनमान की सिफारिशों को बिहार में लागू करने के लिए गठित वेतन आयोग का कार्यकाल दो माह बढ़ा दिया है। आयोग का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
    पूर्व मुख्य सचिव डी.एस.कंग की अध्यक्षता में गठित वेतन आयोग में वित्त विभाग के व्यय सचिव राहुल सिंह और ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव विनय कुमार सदस्य हैं। आयोग राज्य में लागू तमाम वेतनमानों का अध्ययन और उस पर कर्मचारी संगठनों से बात करके सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा।
    इसके बाद ही कर्मियों को सातवां वेतनमान देने का आदेश जारी होगा। बिहार में 1 जनवरी 2017 से वेतनमान का वास्तविक लाभ दिया जाना है।
    विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन 
    इसके साथ ही राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के स्थान पर बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिए करने के लिए मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग गठन से संबंधित विधेयक के प्रारूप को अपनी मंजूरी दी है।
    संभावना जताई गई है कि विधानमंडल के चालू सत्र में विधेयक पर सदन की सहमति प्राप्त की जाएगी। एक अन्य फैसले में मंत्रिमंडल ने आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में तीन नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित तथा बिहार पॉलीटेक्निक नियमावली के प्रारूप को भी मंजूरी दी। मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 44 प्रस्तावों पर विमर्श किया गया। 
    पिछले वर्ष बनाई गई थी कमेटी
    सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा को बिहार में लागू करने के लिए पिछले वर्ष ही राज्य सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव जी एस कंग की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। कमेटी में श्री कंग के अलावा विनय कुमार तथा राहुल सिंह को बतौर सदस्य रखा गया था। कमेटी को 31 मार्च तक अपनी अनुशंसा सरकार को देनी थी।
    सरकार द्वारा तय मियाद के अंदर कमेटी ने सरकारी सेवकों और पदाधिकारियों से उनका का पक्ष जान लिया है। अब कमेटी अपनी अनुशंसा को अंतिम रूप दे रही है। इस बीच 31 मार्च को उसका कार्यकाल समाप्त होता देख आज मंत्रिमंडल ने कमेटी को दो महीने का अवधि विस्तार दे दिया है। कमेटी को 31 मई तक अपनी अनुशंसा सरकार को देनी होगी। 
    शिक्षकों की नियुक्ति में नहीं होगा विलंब
    अभी कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर के शिक्षकों की नियुक्तियां बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती हैं। आयोग में फिलहाल तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। इसमें से आयोग ने सात सौ शिक्षकों की मेधा सूची सरकार को सौंपी है।
    इसके बाद भी कॉलेज और विवि में शिक्षकों के नौ हजार पदों को भरा जाना है। अधिसंख्य मामलों में नियुक्ति की प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब होता है। शिक्षकों की कमी की वजह से पठन-पाठन बाधित होता है।
    इस समस्या के समाधान तथा समय पर शिक्षक नियुक्ति करने के इरादे से सरकार ने बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन का फैसला किया है। मंत्रिमंडल ने आयोग गठन के विधेयक प्रारूप को अपनी मंजूरी दे दी है। 
    आर्यभट्ट ज्ञान विवि में बनेंगे तीन एक्सीलेंस सेंटर
    मंत्रिमंडल ने आर्यभट्ट ज्ञान विवि में तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। जिन तीन सेंटर को मंजूरी दी गई उनमें जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, पाटलिपुत्र स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तथा सेंटर फॉर रिवर स्टडीज।
    इन सेंटर की स्थापना पर अनुमानित 1.13 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके साथ ही आर्यभट्ट ज्ञान विवि में बनने वाले तीन शासी निकायों के लिए डाटा बेस प्रशासक की नियुक्ति भी की जाएगी।