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    बिहार में शराबबंदी के बाद शराबियों ने ढूंढ लिए हैं नशे के और भी तरीके...जानिए

    By Kajal KumariEdited By: Kajal Kumari
    Updated: Fri, 12 Aug 2016 10:06 PM (IST)

    बिहार में शराबबंदी के बाद लोग तरह-तरह से अपने नशे की लत की ज्वाला को शांत करने के उपाय तलाश रहे हैं। इनमें से उपयोग किए जाने वाले कुछ साधन तो इतने खतरनाक हैं कि जान पर बन आती है।

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    पटना [काजल]। बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हो गयी है। अब तो यहां शराब का नाम लेना भी जुर्म है। नए उत्पाद कानून के लागू होने के बाद इस मामले में सख्ती बरती जा रही है। मुख्यमंत्री इस मामले में किसी की कोई भी दलील सुनने के मूड में नहीं हैं। यानि अब बिहार पूरी तरह शराब मुक्त प्रदेश हो जाएगा।

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    शराबबंदी के बाद बढ रही समस्याओं की वजह से पर इस फैसले पर प्रश्नचिन्ह भी लग रहे है, क्योंकि नए कानून के लागू होने के बाद नशे की लत से परेशान युवा वर्ग नशे के लिए तरह-तरह की घातक चीजें इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उनकी जीवनलीला भी समाप्त हो सकती है।

    ड्रग तस्करों की है अब बिहार पर नजर

    बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद सीएम नीतीश कुमार अपनी पीठ खूब थपथपाई। बिहार देश का चौथा राज्य बना जहाँ शराब को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया। कई राज्यों में शराबबंदी को लेकर सीएम नीतीश ने झंडा बुलंद कर रखा है। लेकिन अब बिहार में एक और संकट आने की आहट दिख रही है। बिहार पर ड्रग तस्करों की बुरी नजर पड़ गई है।

    अभी हाल ही में महाराष्ट्र के पुणे में पुलिस ने विपिन नाम के एक ड्रग माफिया को तीन अरब के ज्यादा की नशे की खेप के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस पूछताछ में विपिन ने संदीप धुने नाम के ड्रग तस्कर का पता बताया था और बिहार पुलिस ने संदीप धुने को पटना से गिरफ्तार किया था। आरोपी संदीप धुने ने बड़ा चौंकाने वाला खुलासा करते हुए पुलिस को बताया था कि उसके संबंध केन्या के ड्रग्स माफिया विक्की गोस्वामी के साथ हैं और वहीं से नशे की खेप आती है।

    संदीप धुने लंदन का ड्रग माफिया है और पटना के रामकृष्णा नगर थाना क्षेत्र ­स्थित ग्लैक्सी अपार्टमेंट में रह रहा था। कस्टम विभाग और पट­ना पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन से ड्रग माफिया का खुलासा हुआ।

    सीएम नीतीश ने जताई थी चिंता

    सीएम नीतीश कुमार ने बिहार में ड्रग्स ट्रैफिकिंग को लेकर विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन चिंता जताई थी। नीतीश कुमार का कहना था कि इस बात की सूचना मुझे भी मिली है कि बिहार को ड्रग माफिया अपनी चंगुल में लेने की कोशिश में हैं और यहां मार्केट तलाश रहे हैं लेकिन सरकार ड्रग माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।

    शराबबंदी के बाद मादक पदार्थों का सेवन बढा

    बिहार में गांजा, चरस, ड्रग्स के उपर बहुत पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। पर जब से शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया, तभी से इन सभी मादक पदार्थों का सेवन अत्याधिक बढ़ गया है और ये बड़ी

    चिंताजनक है कि पहले जो शराब का सेवन करते थे प्रतिबंध के बाद अब उन्होंने विकल्प के रूप में गांजा, भांग के साथ ही कुछ एेसी दवाओं का सेवन करना शुरू कर दिया है, जिनसे नशा होता है। युवा वर्ग को अब इन दवाओं की लत लग चुकी है।

    दवाओं के साथ आयोडेक्स और कफ सीरप कर रहे इस्तेमाल

    इन दवाओं में कोरेक्स, फैंसीडिल, प्राक्सीवॉन जैसी दवाओं के सेवन से लेकर आयोडेक्स खाना, डेंटराइट जैसे एड्हेसिव सूंघना शामिल है। कुछ दवाएं जैसे Nitrosun 10 जो बाजार में n10 के नाम से मशहूर है आजकल बड़ी तेजी से युवाओं के बीच यह दवा अपना पैठ बनाती जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि ये दवाइयां मेडिकल स्टोर में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं वो भी बिना किसी डॉक्टर की पर्ची के ही।

    शराबबंदी के बाद इनकी बिक्री कई गुणा ज्यादा हो गई है। डॉक्टरों का कहना है कि ये दवाइयां तथा कैडिन युक्त कफ सिरप के लगातार इस्तेमाल से कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। टेबलेट्स के नियमित इस्तेमाल करने से कन्फ्यूजन होना, यादाश्त का कमजोर होना, पेट में दर्द, सीने में दर्द के साथ मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है। सिरप के लगातार इस्तेमाल से लिवर डैमेज हो सकता है।

    नशे के लिए जीवन रक्षक दवाएं भी प्रयोग कर रहे लोग

    कुछ लोग तो नशे के लिए जीवन रक्षक दवा का प्रयोग कर रहे हैं, जो बहुत ही घातक है। सुनकर हैरानी जरूर होगी लेकिन आंकड़े यही कह रहे हैं कि जानकारी से कहीं अधिक भयावह यह हकीकत है कि युवाओं के एक बड़े समूह ने शराबबंदी के बाद लगातार ऐसी दवाओं का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।

    नशे के लिए युवा वर्ग अब काफी आसान व सस्ते तरीके को अपना रहे हैं। इसके लिए वे इंजेक्शन और कफ सीरप का भी इस्तेेमाल कर रहे हैं। इंजेक्शन, कफ सीरप और जीवन रक्षक दवाएं इन्हें आसानी से मेडिकल स्टोर में मिल जाते हैं। हालांकि प्रशासकीय महकमा जीवन रक्षक दवा के हो रहे ऐसे दुरूपयोग से साफ इंकार कर रहा है।

    नशे की लत शांत करने के लिए ये तरीके हो रहे इस्तेमाल

    एेसी चीजों से अपने नशे की लत को शांत करने वाले युवकों की बातें हैरान करने वाली हैं। इनका कहना है कि हमें एक फोर्टबीन इंजेक्शन के लिए 150 से 180 रूपये तक चुकाने पड़ते हैं जिसका वास्तविक मूल्य आठ से दस रूपये है, नशे की लत को शांत करने का यह हमारे पास एक कारगर तरीका है। इससे ना तो मुंह से दुर्गंध आती है ना किसी को पता चलता है।

    फेविकोल, सॉल्यूूशन भी नशे की ज्वाला को करते हैं शांत

    कुछ तो फेविकोल, तरल इरेजर, पेट्रोल की गंध से आकर्षित होते हैं, कई बार आयोडेक्स, वोलिनी जैसी दवाओं को सूंघकर इसका आनंद उठाते हैं। नशे की भूख को शांत करने के लिए आयोडेक्स और वोलिनी को ब्रेड पर लगाकर खाने की भी बात सामने आई है। फोर्टबीन, सनफिक्स, व्हाइटनर, कफ सीरप, कली चूना का भी प्रयोग किया जा रहा है। वहीं कुछ आयुर्वेदिक दवाएं मसलन लहरी मुनक्का,रौकेट मुनक्का,सुहाना आदि दवाएं भी प्रयोग में लाई जा रही हैं।

    डॉक्टर का कहना है- 

    इस मामले में पटना के केंद्रीय अस्पताल के शिशु विभाग में कार्यरत डॉक्टर अशोक कुमार ठाकुर का कहना है कि इन दवाओं के इस्तेमाल से लीवर, किडनी खराब हो सकती है। सांस लेने में दिक्कत आ सकती है, मानसिक रोग से ग्रसित होने की संभावना बढ जाती है। निराशा उत्पन्न होने लगती है स्वप्नशील जीवन व्यतीत करने की आदत पड़ जाती है।

    उन्होंने कहा कि शराब सेवन से कहीं अधिक खतरनाक है व्हाइटनर, सनफिक्स तथा फोर्टबीन इंजेक्शन का प्रयोग करना। ऐसी दवाईयों के प्रयोग से युवा मानसिक तौर पर अक्षम होने हैं। इसके लगातार प्रयोग से उनमें निराशा व एनिमिया का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि नशा के प्रति युवाओं की ऐसी लत चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि इसके प्रयोग से युवाओं में पौरूष क्षमता भी क्षीण पडऩे लगती है। ऐसी हालत में वे संभवत: मौत को तालाशने लगते हैं।

    इनपर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है

    शराबबंदी का कदम सराहनीय है, पर सैंकड़ों वर्षों से इस आदत पर एकाएक लगाम लगा देना कतिपय उचित नहीं था। इसके लिए लोगों को मानसिक तौर पर परिपक्व करने की जरूरत थी ताकि वे इसके दुष्प्रभावों को जानकर स्वत: इसका त्याग कर देते।