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    आखिर पंचलाइट की रोशनी में पनप सका प्रेम

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    Updated: Mon, 17 Dec 2012 02:37 PM (IST)

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    पटना : गांव में अगर पंचलाइट न आई होती तो गोधन और मुनरी का प्रेम परवान नहीं चढ़ सकता था। पंचलाइट की ही महिमा थी कि जिस प्रेम पर पंचायत ने रोक लगाई थी उसी पंचायत ने प्रेम की खुली छूट भी दी।

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    पटना दूरदर्शन द्वारा आयोजित दो दिवसीय नववर्ष विशेष कार्यक्रम 'गया वर्ष नया वर्ष' के अंतर्गत रविवार को दो नाटकों की प्रस्तुति हुई।

    दोपहर तीन बजे से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। अपने स्वागत भाषण में दूरदर्शन पटना के उप महानिदेशक श्री कृष्ण कल्पित ने कहा लोक संस्कृति एवं साहित्य को संजोने के लिए दूरदर्शन लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में आज नृत्य नाटिका कामायनी और नाटक पंचलाइट का मंचन होगा। कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति थी नृत्य नाटिका कामायनी।

    दूसरी प्रस्तुति की घोषणा के साथ ही दर्शकों के उत्साह में चार चांद लग गए। प्रसिद्ध आंचलिक कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी पंचलाइट आज के आयोजन की दूसरी कड़ी थी।

    नाटक में दिखाया गया कि गोधन अपने ही गांव की लड़की मुनरी को बहुत चाहता है। वह जब भी मुनरी को देखता है फिल्मी गाना गुनगुनाने लगता है। लेकिन इन दोनों का प्रेम पंचायत को रास नहीं आता और सजा के तौर पर गोधन को बिरादरी से बाहर कर दिया जाता है। प्रेम से विमुख गोधन गुमसुम हो जाता है।

    लेकिन, एक दिन अचानक उसकी पूछ बढ़ जाती है, जब गांव में पंचलाइट खरीद कर आता है। समस्या यह है कि उस पंचलाइट को कोई जलाना नहीं जानता। गोधन को पता है कि पंचलाइट कैये जलेगी। पंचायत के आग्रह पर वह उसे जला देता है। जिसके बाद ईनाम के तौर पर गोधन को मुनरी से प्रेम की छूट मिल जाती है। इस नाट्य प्रस्तुति के साथ आज के कार्यक्रम का समाना हुआ।

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