नेपाल का आंखों देखा हाल- अधजली लाशों के बीच भूख से कोहराम
काठमांडू और आस-पास के इलाकों में लकडिय़ों की कमी के कारण लाशें पूरी तरह से जल भी नहीं पा रही हैं। पशुपतिनाथ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लाशों का ढेर लग ...और पढ़ें

काठमांडू (संजय सिंह)। काठमांडू और आस-पास के इलाकों में लकडिय़ों की कमी के कारण लाशें पूरी तरह से जल भी नहीं पा रही हैं। पशुपतिनाथ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लाशों का ढेर लगा है। जमीन का कोना अधजली लाशों से अटा पड़ा है। इसी के आस-पास भूख से लोग बिलबिला रहे हैं। आपदा से प्रभावित लोगों को अपनों के खोने का तो गम है ही, भूकंप से आई जमीन में दरार से बड़ी दरार उनकी किस्मत में पड़ गई है। अपर्याप्त राहत, लुटा-पिटा घर-संसार, जमा निधि तक पहुंच का अभाव लोगों को और बेचैन कर रहा है। ग्रामीण इलाकों में राहत वितरण नहीं हो पा रहा है। अफवाहों और महामारी की आशंका से भी लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं।
काठमांडू से सटे दाडिंग, नौदीपे, मलूको, महावेशी आदि गांव भूकंप से सर्वाधिक ऐसे प्रभावित गांव हैं, जहां राहत नहीं पहुंच पा रही है। यद्यपि बुधवार को काठमांडू बाजार की स्थिति थोड़ी सामान्य हुई। कुछ दुकानें और दफ्तर भी खुले। कुछ इलाकों में बिजली और जलापूर्ति शुरू करने का भी दावा किया जा रहा है। काठमांडू स्थित नया बाजार में रहकर सिलाई का काम करने वाले मु. शाहबाज ने बताया कि चार दिन से उन्हें अनाज का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ है। बिस्किट खाकर दिन बिता रहे हैं। भय का आलम यह कि 17 साल नेपाल में रहने के बावजूद अब वे एक मिनट भी यहां रुकना नहीं चाहते। इनके ही साथ काम करने वाले मु. हबीब भी उस दिन को याद कर सिहर उठते हैं। सिंधुबाल चौक पर उन्होंने स्वयं मलबे में दबे 15 शवों को निकाला था। अब हबीब का भी हौसला पस्त हो चुका है। वे भी घर लौटना चाहते हैं, लेकिन घर लौटने के लिए उनके पास फूटी कौड़ी भी नहीं बची है। बस वाले पूरी बस रिजर्व कर विराटनगर तक (लगभग 625 किमी) छोडऩे के लिए 80,000 रुपये किराया मांग रहे हैं। ऐसी स्थिति में कोई कर्ज भी देने के लिए तैयार नहीं है।
पशुपतिनाथ घाट पर मिले सूर्य विक्रम थापा ने बताया कि उनका घर काठमांडू से लगभग 20 किलोमीटर दूर पहाड़ पर है। भूकंप ने उनके मां-बाप को छीन लिया। बड़ा भाई और भतीजी अस्पताल में भर्ती हैं। ऊपर से भूख परेशान कर रही है। अब खतरा भूकंप से नहीं, भूख से मरने का हो गया है। उसी घाट पर मौजूद कोच्ची थापा का कहना था कि राहत और बचाव कार्य सिर्फ शहरों तक ही सीमित है। ग्रामीण इलाकों में न तो सरकारी राहत पहुंच रही है और ना ही स्वयंसेवी संगठन के लोग आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि भूकंप का प्रभाव सबसे ज्यादा पोखरा, भक्तपुर, बालाजी, कृत्तिपुर, सुनधारा, कालीमाटी और ललितपुर पर पड़ा है। लोगों का कहना है कि इस भूकंप के बाद नेपाल कम से कम दस साल पीछे चला गया है।
इधर पशुपतिनाथ घाट के रुद्र प्रताप थापा व उसके साथ खेल रहे बच्चों ने बताया कि अब खेलने-कूदने के लिए उन्हें ज्यादा समय मिलता है, लेकिन जब भूख अधिक लगती है तो बहुत बुरा लगता है। इनसे बातचीत के दौरान पता चला कि कभी मां-बाप के सामने खाने-पीने की पसंदीदा फरमाइश करने वाले बच्चे आज जो खाने को मिलता है, उसी पर टूट पड़ते हैं।
सब्जियों के भाव आसमान पर (कीमत नेपाली रुपये में)
सब्जियां-पहले कीमत-वर्तमान कीमत
आलू-20-70
परवल-70-150
गोबी-60-200
बैगन-40-100
कद्दू-20-150
महेंद्र राजमार्ग पर बढ़ा दबाव
महेंद्र राजमार्ग शुरू होने से लोगों को काफी राहत मिली है, लेकिन इस मार्ग पर ट्रैफिक इतना बढ़ गया है कि जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस सड़क के जरिये लोग काठमांडू से वीरगंज आने-जाने लगे हैं। हालांकि जापान की सहायता से निर्मित सड़क सिंधुली रोड भूस्खलन के कारण बंद है। इस सड़क से विराटनगर आने पर लोगों को 90 किलोमीटर की दूरी कम पड़ती है। इस सड़क की ट्रैफिक का दबाव महेंद्र राजमार्ग पर ही पड़ गया है।
अफवहों पर स्वास्थ्य महकमा सतर्क
नेपाल में पिछले कुछ दिनों से स्वाइन फ्लू फैलने की अफवाह है। यद्यपि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। बारिश के बाद यहां लाशें सडऩे लगी हैं। लोग मजबूरी में खुले में शौच कर रहे हैं। इस कारण महामारी फैलने की आशंका पर स्वास्थ्य महकमा सतर्क दिख रहा है। काठमांडू ङ्क्षरग रोड स्थित वैद्या अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक रबीश चौधरी ने बताया कि महामारी से निपटने के लिए भी स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह सजग है।
इन गांवों के लोग ज्यादा बदहाल
बालकोटा, टीकाथली, जीदनानगर, रोशन टल्ली, पेप्सी कोला, कौशलताड़ व जड़ी-बूटी आदि गांवों के लगभग 70 फीसद मकान ध्वस्त हो चुके हैं। कुछ घरों में बचे गैस सिलिंडरों पर लोग सामूहिक रूप से भोजन बना रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि कहने को तो एक लाख सेना व पुलिस के जवानों को लगाया गया है,लेकिन वे कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे लोगों का गुस्सा नेपाल सरकार पर है।

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