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    नालंदा का पुनर्जीवन गौरव की बात : सुषमा

    By Edited By:
    Updated: Fri, 19 Sep 2014 05:20 PM (IST)

    मुकेश कुमार, राजगीर :

    पूरे विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में परचम लहराने वाला नालंदा विश्वविद्यालय ने आखिरकार अपनी खोई हुई गरिमा को प्राप्त कर ही लिया। आठ सौ वर्षो से भी अधिक समय तक अपने पुनर्जीवन की राह देख रहे इस केन्द्र को शुक्रवार को राजगीर स्थित अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन हाल में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने औपचारिक उद्घाटन कर नालंदा को विश्व पटल पर ला खड़ा किया। उद्घाटन समारोह के मौके पर विदेश मंत्री ने कहा कि नालंदा एक परंपरा है, जिसे खत्म नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि आज का दिन उत्सव, हर्ष व खुशियां मनाने का दिन है। नालंदा का पुनर्जीवन पूरे हिन्दुस्तान के लिए गौरव की बात है।

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    स्वराज ने कहा कि शिक्षा किसी सीमा एवं क्षेत्र से बांधी नहीं जा सकती। नालंदा सिर्फ बिहार का ही केन्द्र नहीं बल्कि यह पूरे जहां का पाठशाला है। विदेश मंत्री अपने भाषण में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम तथा सिंगापुर के विदेश मंत्री जार्जयो का नाम लेना नहीं भूलीं। उन्होंने कहा कि उनकी सोच आज धरातल पर दिख रही है। केन्द्र ने करोड़ों रुपये के अनुदान से अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि वह पूरी तरह से नालंदा के गौरवशाली अतीत को वापस लौटाने के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने ने कहा कि नालंदा विश्व विद्यालय में विज्ञान, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, समाज शास्त्र, इतिहास, पर्यावरण व आध्यात्म की पढ़ाई के लिए सात स्कूलों की परिकल्पना की गई है, जिसमें से दो स्कूलों का विधिवत उद्घाटन किया जा चुका है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया में पुराने नालंदा की परंपरा का बरकरार रखना होगा, तभी हम इसकी खोई गरिमा को दोबारा प्राप्त कर पाएंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि नालंदा विवि को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य व केन्द्र सरकार दोनों कृत संकल्पित है। यह बिहार के लिए गौरव की बात है। इस मौके पर विवि के कुलपति डॉ. गोपा सभरवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।