ट्रेन हादसा : जब बूढ़ी मां की छड़ी ने बचा ली पूरे परिवार की जान...जानिए
बूढ़ी मां जो किसी काम की नहीं रहती जो बस केवल अपने बच्चों के लिए सलामती की दुआ मांग सकती है। लेकिन ट्रेन हादसे में एक बूढ़ी मां ने अपनी छड़ी से पूरे परिवार की जान बचा ली।
पटना [जेएनएन] । कहते हैं न, जाको राखे साइयां मार सके ना कोए...। ऐसा ही कुछ महसूस कर रहा है मुजफ्फरपुर के मनोज चौरसिया का परिवार। रविवार को जिस ट्रेन हादसे ने कई घरों को उजाड़ दिया, उसी ट्रेन में सवार चौरसिया परिवार बाल-बाल बच गया। मनोज चौरसिया बताते हैं कि उनकी मां की छड़ी की मदद से वे लोग मौत के मुंह से बच सके।
मां की 'दुआ' आई काम
दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर के समीप रविवार को इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में एक बूढ़ी मां की छड़ी ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के एक परिवार के सात सदस्यों की जान बचायी। मुजफ्फरपुर के व्यवसायी मनोज चौरसिया का परिवार इसी ट्रेन से इंदौर से पटना आ रहा था। इसी दौरान कानपुर में हादसा हो गया।
छड़ी से तोड़ा बोगी का शीशा
मनोज चौरसिया ने बताया कि ट्रेन हादसे के बाद उनका परिवार क्षतिग्रस्त बोगी में फंस गया। बताया, ''हमने दुर्घटना के एक घंटे बाद अपनी मां की छड़ी से बोगी की खिड़की का शीशा तोड़ा और बाहर आ गए। मां की छड़ी ने पूरे परिवार की जान बचा ली।''
दशहत में है बूढ़ी मां
बाहर निकलने के बाद चौरसिया की बूढ़ी मां दहशत के कारण कुछ भी नहीं बोल सकीं। घटना स्थल पर वे उसी छड़ी की मदद से चलती रहीं। चौरसिया की पत्नी नंदनी ने बताया कि कोच के अटेंडेंट और कुछ अन्य यात्रियों की बोगी के भीतर ही मौत हो गयी थी। बाद में बचाव दल के वहां पहुंचा, लेकिन वे लोग पहले ही छड़ी से खिड़की का शीशा तोड़कर बाहर निकल गए थे।
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छूकर निकली मौत
हादसे के बाद सोमवार की सुबह विशेष ट्रेन से चौरसिया का परिवार भी पटना जंक्शन पहुंचा। मनोज चौरसिया ने बताया कि मौत उनलोगों को छूकर निकल गई।
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हादसा पीड़ित यात्रियों को लेकर विशेष ट्रेन जिस समय पटना पहुंची, जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल मौजूद थे। बाद में यह परिवार मुजफ्फरपुर रवाना हो गया।
जिला प्रशासन ने की पूरी मदद
जिलाधिकारी ने बताया कि इस हादसे में पीड़ित यात्रियों के पटना जंक्शन पहुंचने पर वहां मौजूद चिकित्सकों के दल ने लोगों की जांच की और उन्हें तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल भेजा। जिला प्रशासन ने हादसे में सकुशल बचे विशेष ट्रेन से पहुंचे अन्य यात्रियों को पटना जंक्शन से उनके पैतृक जिला मधुबनी, सारण, मुजफ्फरपुर और अन्य स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की।
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