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    शर्मनाक- नेपाल ले जाकर बेच दी जा रही राहत सामग्री

    By pradeep Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 02 May 2015 05:07 PM (IST)

    भूकंप की त्रासदी से बेहाल नेपाल को भेजी जा रही राहत सामग्री पीडि़तों के बजाय बिचौलियों तक पहुंच जा रही है। ...और पढ़ें

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    टीम जागरण, मुजफ्फरपुर। भूकंप की त्रासदी से बेहाल नेपाल को भेजी जा रही राहत सामग्री पीडि़तों के बजाय बिचौलियों तक पहुंच जा रही है। शिकायत यह कि कमीशनखोर अफसरों से शह पाकर बिचौलियों राहत सामग्री को बाजारों में बेचकर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं। पीडि़तों को न तो भोजन मयस्सर हो पा रहा और ना ही दवा।

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    काठमांडू से लौटे पीडि़तों का मानना है कि भारत सरकार के प्रतिनिधियों को नेपाल सरकार से बात करनी चाहिए। यहां से राहत सामग्री भरे वाहन तो जा रहे हैं, लेकिन नेपाल में चालकों द्वारा अनियमितता बरती जा रही है। सरकार द्वारा भारत-नेपाल सीमा पर दो राहत कैंप खोले गए हैं। इन शिविरों में भोजन-वस्त्र से लेकर दवा-दारू तक की व्यवस्था की गई है। नेपाल के पोखरा व काठमांडू में भी राहत के लिए दो केंद्र बनाए गए हैं। बिहार सरकार की ओर से राहत सामग्री से भरी 30 बसें रवाना की गईं। पीडि़तों को मदद पहुंचाने के लिहाज से की जारी सारी कवायद समन्वय के अभाव में बेमानी साबित हो रही है। काठमांडू समेत आस-पास के क्षेत्रों में पांच रुपये का बिस्कुट 50 रुपये में, पांच रुपये का चाऊ-चाऊ 40 रुपये में और 15 रुपये में बिकने वाला पानी का बोतल सौ रुपये में बेचा जा रहा है।

    मनमानी कर रहे अफसर : मुजफ्फरपुर जीरो माईल निवासी नथुनी चौधरी 49 लोगों के साथ एक बस से काठमांडू से बैरगनिया लौटे। ये सभी नेपाल में फल का व्यवसाय करते थे। समूह में लौटे घायल संजय पटेल ने बताया कि मकान गिरने से उनका हाथ टूट गया। कोई देखने वाला नहीं था। भारत सरकार द्वारा भेजी जा रही राहत सामग्री नेपाली अधिकारी अपने कब्जे में ले रहे हैं, लेकिन उसका वितरण नहीं हो पा रहा है। नेपाली अधिकारी पेयजल तक अपने घर ले जा रहे या उसे बाजार में बेच दिया जा रहा है।

    घायल तोड़ रहे दम : बैरगनिया के मुसाचक वार्ड सात निवासी बैद्यनाथ दास के मुताबिक घायलों की संख्या लाखों में है। इलाज की व्यवस्था पर्याप्त नहीं। कई लोग इलाज के अभाव मे दम तोड़ रहे हैं। 21 मजदूरों के साथ घर लौटे बैरगनिया के बेलगंज पंचायत के धुनिया टोला निवासी अली अख्तर ने बताया कि तीन दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर घर लौटे हैं। नेपाल सरकार ने आपातकाल की घोषणा की है, लेकिन अधिकारी कहींदिखाई नहीं पड़ते हैं।