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    समय पर मदद न मिलती तो जातीं और हजारों की जान

    By pradeep Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 02 May 2015 09:34 PM (IST)

    नेपाल में भूकंप के बाद मची भगदड़ और लोगों के मन में समाए दहशत को दूर करने में केंद्रीय सशस्त्र बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोटे तौर पर पांच हजार ...और पढ़ें

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    मुजफ्फरपुर। नेपाल में भूकंप के बाद मची भगदड़ और लोगों के मन में समाए दहशत को दूर करने में केंद्रीय सशस्त्र बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोटे तौर पर पांच हजार लोगों को मौत के मुंह से बचाया है। विगत आठ दिनों में 50 हजार से अधिक भारतीय मूल के लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। ये बातें नेपाल के भूकंप पीडि़तों के लिए रक्सौल में चलाए जा रहे 'ऑपरेशन मैत्री' के नोडल पदाधिकारी व केंद्रीय सशस्त्र बल के डीआइजी संजय कुमार ने कहीं। वे 'दैनिक जागरण' से राहत और बचाव कार्य के बारे में बात कर रहे थे।

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    संजय ने कहा कि रक्सौल में ही बेस कैंप बनाया गया है। इसके अलावा विठ्ठा मोड़, सोनबरसा, भक्तपुर समेत आठ भूकंप प्रभावित जिलों में केंद्रीय सशस्त्र बल के शिविर लगे थे। सिर्फ रक्सौल शिविर में एक बटालियन राहत कार्य में जुटा था। काठमांडू से बीरगंज और वहां से रक्सौल आने वाले रास्ते को ही मुख्य रूप से चालू किया गया है। नेपाल के भूकंप पीडि़त जिलों से भारतीय मूल के लोगों को इसी रास्ते से लाया जा रहा है। उनमें काफी संख्या उन मजदूरों की है, जो नेपाल रोजगार के क्रम में गए थे। यहां पर चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं। घायल लोगों को कैंप तक पहुंचाने के लिए 12 एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। लोगों के खाने-पीने पूरी व्यवस्था की गई है। रास्ते के लिए मिनरल वाटर की बोतल सभी पीडि़तों को दिया जा रहा है।

    काठमांडू से बीरगंज पहुंचने पर वाहन मालिकों द्वारा लूटपाट ने पीडि़तों को एक बार फिर असहाय बना दिया था। दो हजार के बदले 20 हजार किराया वसूला जा रहा था, हालांकि राहत शुरू होने पर नेपाल पुलिस की मदद से इसे रोका गया। वाहन मालिकों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि तमाम पीडि़त परिवार के सदस्य शिविर में आने से डरते थे। उनके मन में यह द्वंद्व था कि खाने के बाद पैसे मांगे जाने पर कहां से देंगे। उन्हें समझा-बुझाकर शिविर में लाया गया। बदहवास होकर यहां पहुंचे पीडि़तों को पहले सांत्वना दी गई उसके बाद संबंधित स्थान के लिए भेजा गया।

    आंकड़ों के आइने में राहत

    - 50 हजार से अधिक लोगों को मिली राहत

    - 15 हजार लोगों को बीरगंज से रक्सौल लाया गया

    - प्रतिदिन शिविर में आने वाले लोगों की औसतन संख्या 13500

    - प्रतिदिन चिकित्सा लाभ मिला 1500 से अधिक लोगों को

    - औसतन 20 से अधिक लोगों को सिविल हास्पिटल में भर्ती कराया गया