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    ये है मधुबनी रेलवे स्टेशन: कभी था गंदगी के लिए बदनाम, अब देशभर में हुआ नाम

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Tue, 31 Oct 2017 04:58 PM (IST)

    स्वच्छता मानकों में देश का सबसे गंदा मधुबनी रेलवे स्टेशन स्थानीय कलाकारों द्वारा की गई मधुबनी पेंटिंग की वजह से अब इस स्टेशन ने अपने सिर पर लगी गंदगी को धो डाला है। पढ़िए...

    ये है मधुबनी रेलवे स्टेशन: कभी था गंदगी के लिए बदनाम, अब देशभर में हुआ नाम

    मधुबनी [जेएनएन]। कभी गंदगी के लिए बदनाम। अब देशभर में नाम और अलग पहचान। वह भी ऐसी-वैसी नहीं, विश्व रिकॉर्ड में दर्ज होने की दहलीज पर। यह कहानी है मधुबनी रेलवे स्टेशन की। महज 10 दिनों में विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग के जरिए इसका कायाकल्प करने का काम किया स्थानीय कलाकारों ने। वह भी बिना एक रुपया लिए। वह इसलिए क्योंकि उन्हें धोना था बदनामी का दाग, देश का सबसे गंदा स्टेशन होने का। 

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    पूर्व-मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल के मधुबनी रेलवे स्टेशन को वर्ष 2015-16 में देश के सबसे गंदे रेलवे स्टेशनों में शुमार किया गया तो यहां के लोगों को बड़ा धक्का लगा था।

     

    इस स्थिति को सुधारने के लिए रेलवे ने यहां अगस्त 2017 में खासतौर पर इनवायरमेंट एंड हाउस कीपिंग पद पर भवेश कुमार झा की तैनाती की। उन्होंने इसकी सुंदरता निखारने में यहां की विश्वप्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग के उपयोग का विचार अधिकारियों के समक्ष रखा।

     

    हरी झंडी मिलने के साथ 28 सितंबर को स्थानीय कलाकारों से इस कार्य में सहयोग की अपील का विज्ञापन निकाला गया। इसका सकारात्मक असर हुआ। सैकड़ों कलाकार इस अभियान में साथ देने के लिए खड़े हो गए।

     

    गांधी जयंती पर शुरुआत

    सफाई और पेंटिंग बनाने की शुरुआत दो अक्टूबर गांधी जयंती पर भव्य समारोह में डीआरएम आरके जैन ने की। इस कार्य में 184 कलाकार लगे। 10 दिनों तक अथक मेहनत करते हुए पौराणिक से लेकर आधुनिक विषयों की 20 थीम्स पर अपनी कल्पना को रेलवे की दीवारों पर उतारना शुरू किया। ये कलाकार पौ फटने के साथ ही स्टेशन पहुंच जाते। कलाकारों ने एक-एक थीम पर पेंटिंग बनाते हुए रंग भरा तो गंदगी से पटी रहने वाली दीवारें बोल उठीं।

     

    बन गया दर्शनीय स्थल

    आज स्थिति यह है कि स्टेशन से कभी मुंह बिचका कर जाने वाले यात्री पेंटिंग देख ठहर से जाते हैं। उसे निहारते हैं। बहुत से लोग तो सिर्फ पेंटिंग देखने के लिए स्टेशन पहुंचने लगे हैं। आज यह एक दर्शनीय स्थल बन गया है। नौ हजार दो सौ वर्ग फुट में की गई मधुबनी पेंङ्क्षटग्स को लेकर समस्तीपुर रेल मंडल ने ग्लोबल रिकॉर्ड एंड रिसर्च फाउंडेशन के पास सबसे बड़े लोक चित्रकला परिसर के रूप में विश्व रिकॉर्ड की दावेदारी पेश की है।

     

    कलाकारों का सम्मान

    पेंटिंग्स बनने के बाद 14 अक्टूबर को रेलवे ने भव्य पेंङ्क्षटग क्लोङ्क्षजग सेरेमनी का आयोजन किया। इस अवसर पर पेंटिंग बनाने वाली नीतू देवी, सबा परवीन, निशा झा, पुतुल कुमारी, कल्याणी राय और रमेश कुमार मंडल सहित अन्य कलाकारों को सम्मानित किया। इन्हें प्रमाणपत्र दिया।

    भवेश कुमार झा कहते हैं कि स्वच्छता और सुंदरता के इस अभियान से रेलवे की हौसला अफजाई हुई है।

     

    कहा-प्रभारी रेलवे स्टेशन अधीक्षक ने

    स्टेशन पर मधुबनी चित्रकला देखना यात्रियों के लिए सुखद अनुभव है। पान, गुटखा की पिचकारी से इन पेंङ्क्षटग्स की गरिमा धुले नहीं, यह जिम्मेदारी भी यात्रियों की है।

    -नागेंद्र झा, प्रभारी रेलवे स्टेशन अधीक्षक, मधुबनी

     

    कहा-असिस्टेंट डिवीजनल फाइनेंस मैनेजर ने

    कलाकारों ने रेलवे के इस अनोखे प्रयोग को सफल करने में जिस कदर मदद की, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इन पेंटिंग्स को सुरक्षित और संरक्षित करने की दिशा में अब हम सोच रहे हैं।

    -गणनाथ झा, असिस्टेंट डिवीजनल फाइनेंस मैनेजर, समस्तीपुर रेल मंडल

     

    कहा-डीआरएम, समस्तीपुर रेल मंडल ने

    स्टेशन की सुंदरता बढ़ाने और पहचान स्थापित करने की हमारी सोच कामयाब हुई है। अब दरभंगा के प्रतीक्षालय को भी शीघ्र ही मधुबनी पेंटिंग्स से आच्छादित करने का काम शुरू होगा। उसके बाद सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन पर भी हमारी ऐसी ही योजना है। 

    -आरके जैन, डीआरएम, समस्तीपुर रेल मंडल