ए गोईया गोरकी ना गोईया लाईन
निसं, कुदरा (कैमूर)
बुधवार की शाम कुदरा बाजार वासियों के लिए गुलजार साबित हुई। नगर के रामलीला मैदान में हुए हास्य कवि सम्मेलन में श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाये। कवि सम्मेलन की शुरूआत कैमूर कोकिला अनुराधा रस्तोगी के सरस्वती वंदना से हुई। तत्पश्चात कवि लोकनाथ तिवारी अनगढ़ ने अपनी रचना- कबो आवे भोरहरिया, संझही कबो आ जाले, दुपहरियों में राति बिराती कबो झलक देखा जाले, ओकरा बिना सूना दिन रात लगे भक्साईल, ए गोईया गोरकी, ना गोईया लाईन। पढ़ कर बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर करारा व्यंग कसते हुए श्रोताओं को हंसने पर विवश कर दिया। ऐसे में कवि मिथिलेश गहमरी की रचना- वह घर-घर नहीं होता यारों जिस घर में मां-बाप का आदर नहीं होता पढ़ कर युवाओं को आत्म चिंतन करने के लिए प्रेरित किया। संचालक नागेश शांडिल्य वाराणसी ने अपनी रचना- तेरा रूप है सुहावना, इसे डरावना न बनाया करो, चांद सा ये मुखड़ा दुपट्टे में न छुपाया करो प्रस्तुत कर युवाओं के दिलों को गुदगुदाया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. नंद किशोर तिवारी ने किया। उपस्थित श्रोताओं का फारूक सरेयावी, सिपाही पांडेय मनमौजी, क्यामुद्दीन आजाद, बादशाह प्रेमी देवरिया, राजकुमार मिश्र व झंझट मुंगेरी आदि कवियों ने अपनी बेहतरीन रचनाओं से देर रात तक स्वस्थ मनोरंजन किया। कवि सम्मेलन को सफल बनाने में टुनटुन रस्तोगी, इमरान अंसारी, संदीप अग्रवाल, सुरेन्द्र रस्तोगी, उपेन्द्र गुप्त, विकास रस्तोगी, सरदार गुरुतेग सिंह, गौरव केजरीवाल, सराफत अंसारी, सुनील अग्रवाल आदि का सक्रिय सहयोग रहा।
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