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    कइयों की जिन्दगी में योग ने किया चमत्कार

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    Updated: Mon, 20 Jun 2016 06:47 PM (IST)

    जमुई। मुम्बई में 2005 से सफल कंसेप्ट डिजाइनर के रूप में अपनी खुशहाल जिन्दगी की गाड़ी खींचने वाले गगन

    जमुई। मुम्बई में 2005 से सफल कंसेप्ट डिजाइनर के रूप में अपनी खुशहाल जिन्दगी की गाड़ी खींचने वाले गगन आनंद को जैसे आज भी योग का नाम लेते ही मौत और जिन्दगी के बीच का अंतर समझ आने लगता है। गगन इस समय अपने एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में झांसी के पास ओरछा में काम कर रहे हैं जहां से उन्होंने फिर एक बार उस वाकये को कुछ इस तरह बताया। वे कहते हैं कि वर्ष 2012 में उन्हें ब्रोनकायटिस (अस्थमा) की गंभीर बीमारी ने इस तरह जकड़ लिया कि बस जैसे जीवन के कुछ ही दिन शेष बचे थे। गगन बताते हैं कि अमूमन लोग गांव से बेहतर इलाज के लिए मुम्बई आते हैं। मैं तो मुम्बई में ही था। मुम्बई के सभी बड़े अस्पतालों में खाक छानने के बाद डॉक्टरों की टीम ने अमेरिकन मेडिकल सोसाइटी एवं अन्य बड़े संस्थानों से भी संपर्क साधा पर बीमारी लाइलाज बताई गई। कहा गया कि स्थिति इतनी भवायह है कि अब कुछ ही दिन शेष हैं। गगन के सामने पूरा परिवार था पर वे निराशा की स्थिति में हिचकोले खा रहे थे। अचानक गगन अपने एक रिश्तेदार के यहां जमुई आए। जमुई के पत्‍‌नेश्वर पहाड़ पर एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए लोगों ने उनसे संपर्क किया और इसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में उनकी मुलाकात जमुई में स्वामी निरंजनानंद योग केन्द्र चला रहे स्वामी आत्मस्वरूप जी से हो गई। स्वामी जी ने बीमारी और डॉक्टरों का पर्चा देखकर उनसे सिर्फ अठारह दिन का समय मांगा। गगन कहते हैं कि मुम्बई कल्चर में रहकर उन्हें यह विश्वास नहीं था कि योग इस लाइलाज बीमारी में कुछ कर सकता है पर मरता क्या न करता? कोई रास्ता भी नहीं बचा था। सो उन्होंने हामी भरी और अठारह दिन के लिए योग केन्द्र में भर्ती हो गए। पहले दिन से आश्रम पद्धति में उनके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। आसन, अभ्यास, देवी पद्धति तथा आश्रम की जीवनशैली ने उनका जीवन ही बदल दिया। स्वामी आत्मस्वरूप जी ने उनसे कई हठ योग जिसमें कुंजल क्रिया, शंख प्रच्छालन, अवं योग और योग निद्रा का प्रयोग कर 18वें दिन जब उन्हें आश्रम से विदा किया तो अस्थमा का कहीं नामोनिशान नहीं था। दशकों की जकड़ी हुई यह बीमारी 2012 से 2016 तक पिछले चार सालों में उनके आसपास भी नहीं फटकी। गगन बताते हैं कि तब उन्हें सबसे अधिक पावर का भारत में उपलब्ध इन्हेलर जान बचाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता था। अब तो वे बेफिक्र होकर अपनी जिन्दगी जी रहे हैं। गगन कहते हैं कि मैंने योग में पहली बार किसी को चमत्कार करते देखा और संयोग यह है कि उस चमत्कार का लाभार्थी और साक्षी खुद मैं हूं। वैसे तो स्वामी आत्मस्वरूप जी के योग केन्द्र में ऐसे बीमारों को ठीक होने का लंबा आंकड़ा है पर जमुई में कार्यरत एक जज की 25 वर्षीय बेटी के जीवन में योग से परिवर्तन की यह कहानी भी गगन आनंद से कम नहीं है। परिणीता सिंह उस समय अविवाहिता और 25 साल की थी। बीमारी और डिप्रेशन ने ऐसा जकड़ा था कि शरीर जर्जर और वजन किसी बच्चे जितनी थी। स्वामी आत्मस्वरूप जी ने चारों ओर से निराश इस बच्ची को भी ठीक करने का बीड़ा उठाया। तब परिणीता आईबीएस पेप्टीकल्सर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर अन्य कई बीमारी और डिप्रेशन की शिकार होकर जैसे जिन्दगी से पूरी तरह निराश थी। उसे आश्रम में 30 दिनों के लिए भर्ती किया गया। स्वामी आत्मस्वरूप जी बताते हैं कि उन्होंने इस बच्ची के इलाज से पहले मुंगेर योग केन्द्र के स्वामी और उनके गुरू स्वामी निरंजनानंद जी से आशीर्वाद और अनुमति लेने के बाद ही चिकित्सा प्रारंभ की। 30 दिनों तक परिणीता को रिलेक्सेशन योग निद्रा, पवन मुक्तासन, प्राणायाम, योग निद्रा, सतक्रिया के साथ आश्रम परिसर की योगिक जीवनशैली में रखा गया। परिणीता 30 दिनों बाद जब आश्रम से निकली तो वह स्वस्थ्य थी। धीरे-धीरे उसका वजन भी बढ़ा। डिप्रेशन तो दूर, परिवार वालों ने खुशी-खुशी उसकी शादी की। अब वह बाल-बच्चों के साथ प्रसन्न है और मजे की बात यह है कि उसने योग से प्रभावित होकर अपनी उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के बाद मुंगेर के बिहार योग भारती योग विश्वविद्यालय में योग साइंस में नामांकन करा लिया ताकि वह अपने जैसे अन्य लोगों का जीवन सुखमय कर सके।

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    जमुई के स्वामी निरंजनानंद योग केन्द्र की स्थापना स्वामी आत्मस्वरूप जी ने मुंगेर से स्वामी निरंजनानंद जी से योग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर जमुई में वर्ष 1996 में स्थापित किया। बिहार में सिर्फ जमुई के योग केन्द्र को ही स्वामी निरंजनानंद जी ने अपना नाम जोड़ने की इजाजत दी है। इस योग केन्द्र में पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. दिग्विजय सिंह और पूर्व विधायक स्व. अभय सिंह के अलावे अन्य लोगों ने योग कर स्वास्थ्य लाभ किया है। स्वामी आत्मस्वरूप जी की प्रतिभा को देखकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह ने उन्हें दिल्ली ले जाकर सांसद एवं ऑल इंडिया रायफल एसोसिएशन से जुड़े। ओलम्पिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को वर्ष 2008 में योग की क्लास करवाई। मुम्बई, जामनगर एवं देश के अन्य बड़े स्थानों पर चुनाव आयोग के जमुई आए ऑब्जर्बर ने स्वामी जी को ले जाकर अपने पदाधिकारियों के साथ योग में भाग लिया। अभी हाल में वर्ष 2015 में स्वामी आत्मस्वरूप जी ने जेएनयू ओल्ड कैम्पस में 300 सीआरपीएफ के पदाधिकारियों एवं जवानों को योग क्लास कराकर स्वस्थ्य बनाया।