ओवरलोड वाहन बन रहे हादसों की वजह
गोपालगंज। आधे अधूरे निर्माण व ओवरलोड वाहन यहां सड़क हादसे के प्रमुख कारण हैं। वाहन
गोपालगंज। आधे अधूरे निर्माण व ओवरलोड वाहन यहां सड़क हादसे के प्रमुख कारण हैं। वाहन चलाने में यातायात के नियमों का पालन नहीं होना व फर्राटा भरते वाहनों के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं। बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद नहीं की गयी। यहीं कारण रहा है कि जिले में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में प्रति वर्ष दर्जनों लोग काल कलवित होते हैं तथा कई घायल होकर आजीवन विकलांगता झेलने को विवश होते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि यहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं हाइवे पर होती है। एनएच पर कई ऐसे डेंजर प्वाइंट हैं, जिन्हें लोग डेथ प्वाइंट भी करार देने से नहीं हिचकते। बावजूद इसके इन स्थानों पर किसी भी तरह का बोर्ड या साइनेज नहीं लग सका है। आलम यह कि जिले की सीमा में स्थित 46 किलोमीटर की दूरी में एनएच 28 का आधा अधूरा निर्माण भी सड़क हादसों को आमंत्रित करता है।
नहीं होती यातायात नियमों की जांच : यहां यातायात के नियमों की जांच के नाम पर महज कोरम पूरा किया जाता है। प्रशासनिक स्तर पर कभी भी इसके लिए कोई अभियान नहीं चलाया जाता। यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण आए दिन हादसे होते हैं। बावजूद इसके इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद आज तक नहीं की गयी।
नहीं होता सीट बेल्ट का उपयोग : यहां हजारों की संख्या में चार पहिया वाहन सड़क पर फर्राटा भरते हैं। लेकिन किसी भी चारपहिया वाहन में सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता। हद तो यह कि अधिकारी भी जिस वाहन का उपयोग करते हैं, उनमें भी शायद ही निर्धारित मानक का उपयोग होता हो। पिछले तीन साल के आंकड़े बताते हैं कि सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के आरोप में आजतक किसी भी वाहन चालक या उसपर बैठे व्यक्ति पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी।
अधूरा निर्माण दे रहा व्यवस्था को चुनौती : जिले से होकर गुजरने वाली दो राष्ट्रीय उच्च पथ पर सरपट चाल ही सपना बना हुआ है। डिवाइडर, पार्किंग स्लाट से लेकर कलर लाइट रिफ्लेक्टर्स की बात करना भी बेमानी है। कई स्थानों पर गड्ढे से पटी एनएच जानलेवा बनी हुई हैं। आबादी वाले इलाकों में बनाए जाने वाले ओवरब्रिज अधूरे पड़े हैं। ऐसे में लोग जान हथेली पर लेकर सड़क पर चलते है और भगवान का नाम लेकर उसे पार करते हैं। जिले से होकर एनएच 28 और एनएच 85 गुजरती है। आठ साल पहले एनएच 28 को फोरलेन बनाने का काम शुरू हुआ। लेकिन यह काम आज तक पूरा नहीं हो सका है। अर्द्ध निर्मित एनएच 28 पर आज भी कई स्थानों पर गड्ढों की भरमार है। आधे अधूरे एनएच पर हर दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जिले की सीमा में एनएच के किनारे पड़ने वाली आबादी के पास ओवर ब्रिज बनाने का काम भी शुरू हुआ। पर, कुछ पीलर बनने के बाद काम जहां का तहां पड़ा रहा गया। अब कहीं सड़क के बीचों-बीच तो कहीं वन लेन बनी सड़क के किनारे खड़े पीलर खुद राहगीरों के लिए समस्या बन गए हैं। शहरी क्षेत्र में बंजारी मोड़, साधु चौक और हजियापुर को एनएच 28 शहर को दो भाग काटती है। बंजारी मोड़ पर ओबर ब्रिज निर्माण का कार्य एक पीलर खड़ा कर छोड़ दिया गया। साधु चौक व हजियापुर में ओबरब्रिज निर्माण की आधारशिला भी नहीं रखी गयी। अब आलम यह है कि शहर के लोग इन चौक चौराहों पर वाहनों के बीच से ही एनएच को पार करते हैं। कुछ ऐसी ही दशा एनएच 85 की भी है। गोपालगंज को सूबे की राजधानी से जोड़ने वाली इस सड़क का निर्माण शुरु होते ही सड़क के किनारे को काट दिया गया। यह सड़क भी जानलेवा बनी हुई है।
जुगाड़ वाहन भी हादसे की वजह : यहां होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के अन्य कारक में जुगाड़ वाहन भी शामिल हैं। जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक में सैकड़ों की संख्या में जुगाड़ वाहन सड़क पर चलते नजर आते हैं। बावजूद इसके परिवहन विभाग के अधिकारियों की नजर इनकी ओर नहीं है। ये जुगाड़ वाहन एक ओर सरकार के टैक्स की चोरी करते हैं, तो दूसरी ओर दुर्घटनाओं के कारण भी। बावजूद इसके इनपर लगाम लगाने की कवायद नहीं की गयी।
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