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    मानसून ने दी दस्तक, बारिश ने बिगाड़ी सड़कों की सूरत

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    Updated: Wed, 22 Jun 2016 03:07 AM (IST)

    भोजपुर। मानसून की पहली बारिश ने शहर के तमाम गली सड़कों की सूरत बिगाड़ दी है। नगर नि ...और पढ़ें

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    भोजपुर। मानसून की पहली बारिश ने शहर के तमाम गली सड़कों की सूरत बिगाड़ दी है। नगर निगम एवं वार्ड पार्षदों द्वारा वार्ड क्षेत्रों में नियमित साफ-सफाई का पोल खुल गया है। आरा के ज्यादातर सड़कों पर नालों का पानी पसर गया है। कूड़े-चकड़े भी जहां-तहां फैल गए है। कई सड़कों पर कचड़ों के सड़ांध बदबू से राहगीरों को आवागमन से जूझना पड़ रहा है।

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    कहां तक है नगर निगम की भूमिका :

    45 वार्डों में बंटे शहर की आबादी लगभग तीन लाख से ज्यादा मानी जाती है। इनमे से दो-तिहाई क्षेत्र पुराने मुहल्लों का है बाकि नई कालोनी, नये मुहल्लों एवं नए-नए टोलें कुछेक वर्षों में बने है। नगर निगम प्रशासन ने प्रत्येक वार्डों के मुहल्ले, कालोनियों एवं टोले के लिए सफाई कर्मियों को दैनिक ड्यूटी लगाई है, जो कूड़े-कचड़ों के उठाव, डोर-टू डोर कूड़ा संग्रह, नाली-नालों की सफाई के अलावे सड़़कों पर झाड़ू लगाने का कार्य प्रतिदिन करते है। इसके लिए वार्डों में जमादार एवं सफाई-निरीक्षक भी तैनात किए गए है।

    पहली बारिश ने बिगाड़ी शहर क सुरत :

    शहर के रेलवे स्टेशन से अतिव्यस्त शीश महल चौक के अलावे पटले बस स्टैण्ड, शीतल टोला-मोती टोला, शिवगंज से पकड़ी चौक पुरानी पुलिस लाइन से मौलाबाग, नवादा थाना चौक से क्लब रोड़ आदि के मुख्य सड़क हो अथवा ज्यादातर गली-मुहल्लों सड़क पर एक कदम चलना मुश्किल हो गया है। सबसे ज्यादा दिक्कतें पैदल राहगीरों को हो रही है। सड़कों पर आते-जाते वाहनों से पकड़ों पर गंदे पानी का छपाक मूड खराब कर दे रहा है। इसके लिए सड़कों पर फैले कूड़े-कचड़े एवं फटे-चिटे गंदे कपड़ों के जल-जमाव के पैरों में चिपटने से लोगों को दो-चार होते देखा जा रहा है।

    साफ-सफाई का निराला खेल :

    मानसून के अगाज के साथ नगर निगम को शहर के बजबजाते नालों की उड़ाही की ¨चता सताने लगती है। वार्ड पार्षद भी इस योजना में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है। उड़ाही के दौरान यदि बारिश हुई तो मुहल्लेवाशियों का दर्द यथावत रह जाता है। यानी नालों का बजबजाना सड़कों पर आ जाता है और नाला के उड़ाही से निकल गया कचड़ा सड़क पर फैलकर कई दिनों तक मुहल्लेवाशियों को जुझने के लिए लाचार करता है। साफ-सफाई का मामला सुर्खियों में चर्चित होता है, लेकिन न तो इससे निगम प्रशासन को कोई फर्क पड़ता है और न वार्ड आयुक्त इसके लिए परेशान मुहल्लेवासियों के दर्द को समझते है।