सतघरा से गोलहट्टी पहुंची खिचड़ी की छिपकली
बांका। सरकारी स्कूलों की एमडीएम योजना बांका में बच्चों के लिए जानलेवा बन गयी है। बौंसी गोलहट्टी की
बांका। सरकारी स्कूलों की एमडीएम योजना बांका में बच्चों के लिए जानलेवा बन गयी है। बौंसी गोलहट्टी की घटना कोई नई बात नहीं है। अक्सर विद्यालयों से ऐसा मामला सामने आता रहा है। पहला मामला फरवरी 2006 में सामने आया था। तब अमरपुर के प्राथमिक विद्यालय सतघरा की खिचड़ी में छिपकली निकली थी। तब खिचड़ी खाने से विद्यालय के सभी 90 बच्चे बीमार पड़ गये थे। इसमें अधिकांश बच्चे दलित परिवारों के थे। इससे पूरा बांका दहल गया था। संयोग रहा कि देर रात तक सभी बच्चे ठीक हो गये। किसी प्रकार के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। दस साल यही छिपकली फिर बौंसी का गोलहट्टी गांव पहुंच गयी। इस बीच विश्वभरचक विद्यालय, मोगलानीचक विद्यालय, खमारी विद्यालय में भी इस तरह का मामला सामने आया है। इसी साल बांका प्रखंड के खावा विद्यालय के बच्चों द्वारा दोपहर में जहरीला फल खाने पर तीन दर्जन बच्चे बीमार हो गये थे। इसके अलावा भी कमबख्त खिचड़ी विद्यालयों में अक्सर फसाद की जड़ बनती रही है।
अलर्ट की हवा निकली
दो दिन पूर्व पटना के एक विद्यालय में जहरीला भोजन खाने से बच्चे बीमार पड़ गये थे। इसके बाद सरकार ने पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है। बांका में भी एमडीएम डीपीओ ने दो दिन पूर्व सभी विद्यालयों को इसका फरमान सुनाया था। लेकिन, विद्यालय ने बच्चों के भविष्य की परवाह किये बगैर ही अपना काम जारी रखा। जिसका नतीजा सामने है। इसके पूर्व गंडामन धर्मासती विद्यालय की घटना के बाद से ही भोजन बनाने में खास सतर्कता की हिदायत दी गयी। बिना भवन वाले विद्यालयों से बच्चों को हटा लिया गया। लेकिन, यह सब सतर्कता साल के अंदर समाप्त हो गयी।
गोलहट्टी में मचा कोहराम
दोपहर भोजन के बाद बच्चों के बीमार पड़ने का सिलसिला शुरू होने पर पूरे गोलहट्टी गांव में बुधवार दोपहर बाद कोहराम मच गया। हर घर से चीख पुकार सुनाई दे रही थी। कई घरों से अक्सर बच्चों के उल्टी व जी मितलाने की शिकायत से कोहराम मच गया। ग्रामीणों ने बताया कि नियम के मुताबिक रसोईया और प्रधानाध्यापक को पहले भोजना चखना है। लेकिन, प्रधानाध्यापक ने रोजा के नाम पर भोजन नहीं चखा। फिर किसी और शिक्षक को इसकी जिम्मेवारी नहीं दी गयी। इससे पहले किसी रसोईया ने भी भोजन नहीं किया।
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पटना के एफएसएल टीम के पास खिचड़ी के नमूने एवं बच्चों के रक्त जांच के लिए भेजा जायेगा। ताकि किसी जहरीला पद्धार्थ की सच्चाई को जाना जा सके। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।
डॉ सत्यप्रकाश, एसपी बांका