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    12 हजार करोड़ रुपये का झटका लग सकता है ऑटो कंपनियों को, जानिये कैसे

    By Bani KalraEdited By:
    Updated: Thu, 30 Mar 2017 11:13 AM (IST)

    बीएस-3 मानक वाले वाहनों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक लगाने के कदम से पूरे ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए भारी मुसीबत पैदा कर दी है। कंपनियों के प ...और पढ़ें

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    12 हजार करोड़ रुपये का झटका लग सकता है ऑटो कंपनियों को, जानिये कैसे

    नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने के कदम से पूरे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए भारी मुसीबत पैदा कर दी है। इस वक्त कंपनियों के पास बीएस-3 मानक के 8.24 लाख वाहनों की इन्वेंटरी बची हुई है, जिन्हें खपाना इनके लिए भारी सिरदर्दी साबित हो सकती है। इनमें से लाखों वाहन देश भर के डीलरों के पास हैं और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही इन डीलर कंपनियों से इन्हें वापस लेने कहने लगे हैं। माना जा रहा है कि दोपहिया, तीन पहिया और वाणियिक वाहन बनाने वाली कंपनियों पर 12 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। यही वजह है कि कोर्ट का फैसला आने के कुछ ही देर के भीतर हीरो मोटोकार्प, अशोल लीलैंड समेत कई कंपनियों के शेयर तीन फीसद तक गिर गये।

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    ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम के अध्यक्ष विनोद के देसारी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वह स्वागत करता है लेकिन जिस तरह से इन वाहनों की बिक्री को अभी तक के कानून में मंजूरी मिली थी, उसकी अवहेलना से उन्हें काफी नुकसान हुआ है। कई कंपनियां इसलिए ये वाहन बना रही थीं कि बाजार में बीएस-4 वाले ईंधन भी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध नहीं था।’ इस बारे में केंद्र सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना में साफ तौर पर कहा गया था कि अप्रैल, 2017 के बाद भी बीएस 3 वाहनों की बिक्री जारी रहेगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसा नहीं होगा।

    ऑटोमोबाइल उद्योग के पास बीएस-3 मानक वाले कुल 8.24 लाख वाहन हैं। इनमें से 95 हजार वाणियिक वाहन हैं जबकि छह लाख के करीब दोपहिया वाहन हैं। 40 हजार के करीब तीन पहिया वाहन हैं। माना जाता है कि सबसे यादा वाहन हीरो मोटोकोर्प के हैं। मारुति सुजुकी और हुंडई जैसी कंपनियों पर इसका कोई असर नहीं होगा क्योंकि इन्होंने पहले ही बीएस-3 वाहनों का उत्पादन बंद कर रखा है। लेकिन कई दोपहिया कंपनियां इस मानक वाले वाहनों का निर्माण कर रही थीं। कुछ कंपनियों ने कहा है कि वे अब दूसरे देशों को इन वाहनों का निर्यात करने की कोशिश करेंगी।

    वाहन उद्योग के सामने अब चुनौती है कि सिर्फ तीन वर्ष देश में बीएस-6 मानक लागू होने हैं। सरकार ने पिछले वर्ष फैसला किया था कि बीएस-4 से सीधे बीएस-6 लागू किया जाएगा। इसके लिए एक तरफ देश की तेल कंपनियों को नए मानक वाले ईंधन बनाने के लिए भारी भरकम निवेश करना होगा तो दूसरी तरफ ऑटो कंपनियों को भी नया निवेश करना होगा।