दुनिया का पहला मॉलीक्यूलर रोबोट नई दवाएं खोजने में मदद करेगा
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि ये मॉलीक्यूलर रोबोट एक विशेष घोल में रासायनिक क्रियाएं करते हैं, जो वैज्ञानिकों द्वारा नियंत्रित होती हैं।
लंदन (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला मॉलीक्यूलर रोबोट विकसित कर लिया है, जो अणुओं का निर्माण करने के साथ ही नई दवाओं की खोज में मदद करेगा। यह रोबोट अति सूक्ष्म है, जिसका आकार मिलीमीटर के दस लाखवें हिस्से के बराबर है। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं ने इन अतिसूक्ष्म रोबोट को
विकसित किया है, जो महीन रोबोटिक हाथ का प्रयोग कर मॉलीक्यूलर कार्गो का निर्माण भी कर सकता है। प्रत्येक रोबोट 150 कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन के परमाणु से मिलकर बना है।
अगर अरबों ऐसे रोबोट को जोड़ा जाए तो ये नमक के एक दाने के बराबर दिखाई देंगे। नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि ये मॉलीक्यूलर रोबोट एक विशेष घोल में रासायनिक क्रियाएं करते हैं, जो वैज्ञानिकों द्वारा नियंत्रित होती हैं। भविष्य में इनका उपयोग चिकित्सकीय उद्देश्यों, उन्नत निर्माण प्रक्रियाओं और आणविक फैक्टरी बनाने के लिए किया जाएगा। इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डेविड लेह के मुताबिक, सभी तत्वों का निर्माण परमाणु से हुआ है और कई सारे परमाणु मिलकर ही अणु का निर्माण करते हैं।
हमारा रोबोट एक आण्विक रोबोट है जो परमाणु से बना है, जिस प्रकार साधारण रोबोट लेगो ब्रिक्स के बने होते हैं। इन रोबोट का निर्माण रसायनिक विज्ञान के एक सिद्धांत पर आधारित है, जिसके अनुसार परमाणु और अणु आपस में क्रिया कर छोटे अणु से बड़े अणु का निर्माण करते हैं।
-आकार में इतना छोटा कि अरबों रोबोट साथ में रखने पर नमक के एक दाने जैसे दिखाई देंगे।
-प्रत्येक रोबोट को 150 कार्बन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन के परमाणु से मिलकर बनाया गया है।
यह भी पढ़ें : दोस्तों का मूड भी व्यक्ति को करता है प्रभावित