तापमान में इतनी वृद्धि से धरती पर मानव जीवन के लिए पैदा होगा इतना बड़ा खतरा
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हमारे ग्रह के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई तो पृथ्वी के एक चौथाई हिस्से को सूखे की मार झेलनी पड़ेगी। ...और पढ़ें

लंदन (प्रेट्र)। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा संकट बन गई है। दुनियाभर में बढ़ती वाहनों व फैक्ट्रियों की संख्या और बायोमास व कचरा जलाने से होने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन ने दुनिया को उस मुहाने पर ला खड़ा किया है, जहां से धरती सूखे की ओर बढ़ रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हमारे ग्रह के तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई तो पृथ्वी के एक चौथाई हिस्से को सूखे की मार झेलनी पड़ेगी।
भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक सहित, वैज्ञानिकों के एक समूह ने अपने अध्ययन में चेतावनी दी है कि ऐसा होने की स्थिति में पृथ्वी पर सूखा और जंगलों में आगे लगने की घटनाएं बढ़ जाएंगी।

27 मॉडलों का अध्ययन किया
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट ऐंगलिया (यूइए) और चीन के सदर्न यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंट टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जलवायु परिवर्तन से जुड़े 27 मॉडलों का अध्ययन किया है। अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उन स्थानों की पहचान की जो औद्योगिक क्रांति के समय की तुलना में वैश्विक तापमान में 1.5 से दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने पर सूखे की मार झेलेंगे।
उन्होंने इसमें अरिडिटी को मापा। अरिडिटी जमीन की सतह को वर्षा से मिलने वाले पानी और जलवाष्प बनने के दर के अनुपात के आधार पर मापा जाता है। यूइए के मनोज जोशी के मुताबिक, अपने अध्ययन में हमने भविष्यवाणी की है कि वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने पर धरती की सतह पर आर्डिफिकेशन 20-30 फीसद तक उभरेगा। इस स्थिति से प्रभावित होने वाले दो तिहाई हिस्से को सूखे की मार से बचाया जा सकता है यदि हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को किसी तरह 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर लें तो।

इन क्षेत्रों में पड़ेगा असर
शोधकर्ताओं के मुताबिक, 20वीं शताब्दी के दौरान भूमध्य सागर, दक्षिणी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर सूखा गंभीर रूप से बढ़ा है, जबकि मेक्सिको, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के अर्ध शुष्क क्षेत्र तापमान बढ़ने के बंजर की मार झेल रहे हैं।
एक ही विकल्प बचा है
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस संकट से बचने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। यदि इन प्रयासों से किसी तरह वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोक लिया गया तो वह धरती के कुछ हिस्सों में होने वाले ऐसे बदलावों को रोक सकेगा।
यह भी पढ़ें : पेरू में भीषण हादसा, बस खाई में गिरने से 36 की मौत

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।