Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    '16 साल से कम उम्र के निहत्थे किशोरों को भी नहीं छोड़ा', अफगानिस्तान में ब्रिटिश सेना पर लगे युद्ध अपराध के आरोप

    Afghanistan News 2010 से 2013 तक अफगानिस्तान में तैनात ब्रिटिश विशेष बलों ने बिना सुनवाई कई नागरिकों को तालिबान की तरह मौत के घाट उतारा। इन बलों पर अपनी गैर-कानूनी कार्रवाई को छिपाने का भी आरोप लगा। 2022 में यूके के रक्षा मंत्रालय ने अफगानिस्तान इंक्वायरी शुरू की। इसके तहत अफगानिस्तान में युद्ध अपराध की जांच की जा रही है।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Fri, 10 Jan 2025 10:06 PM (IST)
    Hero Image
    युद्ध अपराध के आरोपों में घिरी ब्रिटिश सेना। ( सांकेतिक फोटो )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2010 से 2013 तक अफगानिस्तान में तैनात ब्रिटिश विशेष बलों ने बिना सुनवाई कई नागरिकों को तालिबान की तरह मौत के घाट उतारा। इन बलों पर अपनी गैर-कानूनी कार्रवाई को छिपाने का भी आरोप लगा। 2022 में यूके के रक्षा मंत्रालय ने अफगानिस्तान इंक्वायरी शुरू की। इसके तहत अफगानिस्तान में युद्ध अपराध की जांच की जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बुधवार को साक्ष्यों और सैकड़ों दस्तावेजो को जारी किया गया। इसमें ब्रिटिश सेना की विशेष वायु सेवा (एसएएस) की क्रूरता के कई राज खुले। एक अधिकारी ने तो ब्रिटिश सेना की विशेष वायु सेवा को गोल्डन पास कहा। इसके माध्यम से वह हत्या करके अफगानिस्तान से बच निकलते थे।

    निहत्थे लोगों की हत्या का आरोप

    अफगानिस्तान इंक्वायरी के तहत रात में विशेष बलों के छापेमारी की जांच की जा रही है। यूनाइटेड किंगडम स्पेशल फोर्सेस के सात कर्मचारियों ने गवाही दी। हालांकि सुरक्षा कारणों ने उनकी पहचान को गुप्त रखा गया है। सैनिकों ने गवाही में बताया कि संघर्ष के दौरान कई निहत्थे लोगों की हत्या की गई।

    मारे गए लोगों में वह व्यक्ति भी शामिल थे, जो किसी भी तरह से खतरा नहीं थे। जांच में यह भी सामने आया है कि ब्रिटिश सैनिकों ने 16 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को भी मौत के घाट उतारा था। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जांच के परिणाम की इंतजार करना ठीक होगा।

    सिर पर तकिया रखकर मारी गोली

    बता दें कि ब्रिटिश सैन्य पुलिस ने भी एसएएस पर लगे युद्ध अपराधों के आरोपों की जांच की थी। मगर बाद में कहा गया कि अभियोजन के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। जांच में एन1799 के नाम वाले एक सैनिक ने कहा कि लड़ाई लड़ने के योग्य सभी पुरुषों को अभियान के दौरान मार दिया गया। गोली मारने से पहले सिर पर तकिया भी रखा जाता था।

    मारने के बाद हथियार रखते थे ब्रिटिश सैनिक

    एनडीटीवी के मुताबिक एन 2107 के नाम वाले दूसरे अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में सैन्य ऑपरेशन में हेरफेर और तथ्यों को बदला जाता था। निहत्थे लोगों को मारने के बाद उनके शवों के पास हथियार रखे जाते थे। ताकि यह लगे की हथियारबंद लड़ाकों को मारा गया है।

    यूकेएसएफ पर लगे आरोपों की तुलना अमेरिकी विशेष अभियान बलों से की गई। अमेरिकी बलों पर अफगानिस्तान में युद्ध अपराध में लिप्त होने के आरोप लगे हैं। कुछ गवाहों ने इस मामले में सुरक्षा से जुड़ी चिंता भी व्यक्त की। एक सैनिक ने गवाही से पहले रक्षा मंत्रालय के दो प्रतिनिधियों को हटाने की मांग की।

    यह भी पढ़ें: PM मेलोनी को क्यों आया जॉर्ज सोरोस पर गुस्सा? Elon Musk से है कनेक्शन

    यह भी पढ़ें: 70 या 90 कितने घंटे काम करना सही? बहस छिड़ी है तो लेबर लॉ और एक्सपर्ट की राय भी समझ लें