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    चलने का नाम ही जिंदगी है, क्योंकि गतिहीन जीवनशैली से दोगुना हो जाता है मौत का खतरा

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Mon, 02 Sep 2019 10:35 AM (IST)

    शोधकर्ताओं ने कहा यदि असमय मृत्यु और हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत के खतरों से बचना है तो ज्यादा से ज्यादा खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना बेहद जरूरी है...

    चलने का नाम ही जिंदगी है, क्योंकि गतिहीन जीवनशैली से दोगुना हो जाता है मौत का खतरा

    लंदन, आइएएनएस। मेहनत, स्वस्थ शरीर की कुंजी है। पहले लोग इसे कहावत मानते थे, अब तमाम वैज्ञानिक शोधों में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है। स्वस्थ लोगों के मुकाबले गतिहीन रहने वाले यानी जो लोग कुछ काम नहीं करते, उनमें असमय मृत्यु का जोखिम दोगुना हो जाता है। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है।

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    इस अध्ययन के लेखक ट्राइन मोहोल्ड ने कहा, ‘हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि यदि आपको असमय मृत्यु और हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत के खतरों से बचना है तो ज्यादा से ज्यादा खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने की जरूरत है। तभी आपको अधिकतम स्वास्थ्य लाभ मिल पाएगा।’ इस अध्ययन का उद्देश्य यह पता लगाना था कि बदलती शारीरिक गतिविधियां कैसे हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत और अन्य कारणों से होने वाली मृत्यु के लिए जिम्मेदार है।

    20 वर्ष की उम्र वालों पर हुआ अध्ययन
    अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने लगभग 20 वर्ष की उम्र तक के नार्वे के सभी निवासियों को वर्ष 1984-1996, 1995-1997 और 2006-2008 के बीच आमंत्रित किया। तीनों समय बिंदुओं पर शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से उनके आराम करने और शारीरिक सक्रियता के समय के बारे में प्रश्न पूछे। वर्तमान अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने पहले और तीसरे सर्वेक्षण के डाटा का इस्तेमाल किया है। इसमें कुल 23,146 महिलाएं और पुरुष शामिल थे।

    ऐसे किया गया अध्ययन
    शारीरिक गतिविधियों को शोधकर्ताओं ने निष्क्रिय, मध्यम (ऐसे लोग जो सप्ताह में दो घंटे से भी कम समय तक गतिशील रहे) और उच्च (वे लोग जो सप्ताह में दो घंटे से ज्यादा समय तक सक्रिय रहे) में विभाजित किया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने प्रत्येक समूह के मृत्यु के जोखिमों की तुलना ज्यादा समय तक सक्रिय रहने वाले लोगों से की गई।

    अध्ययन में सामने आए परिणाम
    इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग दोनों ही समयावधियों के दौरान निष्क्रिय थे, उसमें किसी भी कारण से होने वाली मौत की संभावना अन्य लोगों के मुकाबले दोगुना ज्यादा थी। साथ ही उनमें हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत का जोखिम 2.7 गुना ज्यादा देखा गया। वहीं, मध्यम श्रेणी के लोगों में अन्य कारणों से होने वाली मौत का जोखिम 60 फीसद और हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत का जोखिम 90 फीसद पाया गया।

    निष्क्रिय जीवनशैली रोगों को दावत
    पेरिस में आयोजित ईएससी कांग्रेस-2019 में इस अध्ययन को प्रस्तुत करने वाले मोहोल्ड ने कहा कि आप अपनी निष्क्रिय जीवनशैली के कारण कई रोगों को बुलावा दे रहे हैं। यदि आप स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट रहना चाहते हैं तो खुद को ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रखिए, जिसके सकारात्मक परिणाम आप स्वयं देख पाएंगे।

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