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Olga Ladyzhenskaya: नफरत करने वालों को ऐसे दिया जवाब, भारतीय कट्टरपंथियों को है सबक

Olga Ladyzhenskaya’s 97th Birthday महज 15 साल की उम्र में उनके पिता की हत्या कर दी गई थी। नफरत की वजह से उन्हें कॉलेज में दाखिला तक नहीं मिला।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 12:54 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 07:23 PM (IST)
Olga Ladyzhenskaya: नफरत करने वालों को ऐसे दिया जवाब, भारतीय कट्टरपंथियों को है सबक
Olga Ladyzhenskaya: नफरत करने वालों को ऐसे दिया जवाब, भारतीय कट्टरपंथियों को है सबक

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। नफरत का जवाब हमेशा नफरत नहीं हो सकता है, वक्त-वक्त पर बहुत से लोगों ने इस बात को साबित किया है। आज हम आपको एक महान गणितज्ञ (Russian Mathematician) की कहानी बता रहे हैं, जिनके पिता की नफरत की वजह से हत्या कर दी गई और उनके परिवार को तमाम दुश्वारियां झेलनी पड़ी। बावजूद आज वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं। भारतीय कट्टरपंथियों के लिए भी ये कहानी एक सबक है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक एक दिन पूर्व जन्मी ओल्गा विश्व भर की महिलाओं के लिए भी एक आदर्श हैं।

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ये कहानी है रूस की महान गणितज्ञ ओल्गा लैडिजेनस्काया (Mathematician Olga Ladyzhenskaya) की। उनका जन्म 07 मार्च 1922 को रूस के कोलोग्रिव कस्बे में हुआ था। आज उनका 97वां जन्मदिवस है। 12 जनवरी 2004 को लगभग 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था। ओल्गा के पिता भी गणित के शिक्षक थे। घर पर वही ओल्गा को गणित पढ़ाते थे। पिता की वजह से ही ओल्गा की गणित में रुचि बढ़ी। 1937 में सोवियत संघ की एक संस्था ने नफरत की वजह से ही उनके पिता की हत्या कर दी थी।

जिस वक्त ओल्गा के पिता की हत्या हुई, वह महज 15 वर्ष की थीं। उस दौरान स्थानीय लोग भी ओल्गा के पिता समेत उनके पूरे परिवार से नफरत करने लगे थे। स्थानीय लोग भी ओल्गा के पिता व परिवार को अपना दुश्मन मानने लगे थे। ओल्गा भी नफरत की इस आग से अछूती नहीं रहीं थीं। पिता की हत्या के बाद ओल्गा को उच्च शिक्षा के लिए लेनिनगार्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना था, लेकिन नफरत की वजह से उन्हें कहीं दाखिला नहीं मिल रहा था।

काफी प्रयासों के बाद बड़ी मुश्किल से ओल्गा को मॉस्को यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला और उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1953 में लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी और मॉस्को स्टेट से अलग-अलग डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद ओल्गा ने बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने लेनिनग्राद यूनिवर्सिटी में भी अध्यापन कार्य किया। इसके बाद वह 1959 में सेंट पीटर्सबर्ग मैथमेटिकल सोसायटी की सदस्य और फिर 1990 में संस्था की अध्यक्ष बनीं।

ये है ओल्गा की उपलब्धियां
ओल्गा को गणित और फ्लुइड डायनमिक्स में महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2002 में लोमोनोसोव से गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया था। उन्हें पर्शियल डिफरेंशल इक्वेशन और फ्लुइड डायनमिक्स के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पूरी दुनिया में याद किया जाता है। उनके इन इक्वेशंस (समीकरणों) की मदद से समुद्र विज्ञान, वायुगतिकी, हृदय विज्ञान और मौसम पूर्वानुमान में मदद मिलती है। इसके अलावा ओल्गा, नेवियर-स्टोक्स समीकरण को फाइनाइट डिफरेंस मेथड से सॉल्व और प्रूव करने वाली पहली गणितज्ञ हैं।

ओल्गा पर गूगल ने बनाया डूडल
ओल्गा की उपलब्धियों की वजह से ही गूगल ने आज उनके सम्मान में डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। Google Doodle में ओल्गा की फोटो के नीचे अवकल समीकरण (Differential Equation) भी दर्शाया गया है। मालूम हो कि गूगल विशेष मौकों पर डूडल बनाकर इसी तरह से विशेष लोगों को याद करता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से ठीक एक दिन पूर्व, ओल्गा का जन्मदिवस उन्हें और खास बनाता है। ओल्गा विश्व भर की महिलाओं के लिए भी एक आदर्श हैं कि कैसे विषम परिस्थितियों में भी कामयाबी हासिल की जा सकती है।

अफजल गुरु के बेटे ने कहा- भारतीय होने पर गर्व है, मां ने आतंकवादी बनने से बचा लिया

अफजल गुरू के बेटे ने भी ऐसे दिया था नफरत का जवाब
कुछ दिन पहले भी संसद हमले के दोषी जम्मू-कश्मीर निवासी अफजल गुरू के बेटे 18 वर्षीय गालिब गुरू ने भी घाटी में नफरत फैलाने वाले अलगाववादियों और कट्टरपंथियों को एक सबक दिया था। गालिब गुरू ने कहा था कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया था कि पिता की मौत के बाद घाटी में सक्रिय आतंकवादी संगठनों ने कैसे उन्हें आतंकी बनाने के लिए बार-बार उकसाया, लेकिन उनकी मां ने उन्हें आतंकवादी बनने से बचा लिया। मालूम हो कि अफजल गुरू 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले का दोषी था। इसके लिए उसे फांसी दी गई थी। उसकी मौत के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने उसी के नाम से अफजल गुरू सुसाइड स्क्वॉड बनाया, जिसमें आत्मघाती हमलावरों को शामिल किया जाता है। इसी आत्मघाती स्क्वॉड द्वारा 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमला किया गया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।

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